श्रीमद भगवद गीता के सुविचार (Bhagavad Gita Quotes in Hindi)

श्रीमद भगवद्गीता हिंदुओं का पवित्रतम ग्रंथ है, इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिये है। भगवद गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जिन्हे पढ़ने के लिए आपको पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी। इसलिए कम समय में संक्षिप्त में श्रीमद भगवद गीता के सुविचार (Bhagwat Geeta Quotes in Hindi) पढ़कर इसकी महत्ता जान सकते हैं।

"जब उम्मीदें टूटने लगें, कोई रास्ता ना दिखाई दे, तो एक बार भगवद गीता अवश्य पढ़ लें। ताकि भगवान आपको रास्ता दिखाएँ।"
Bhagwat Geeta Quotes in Hindi (Bhagwad Geeta is a collection of speeches Lord Shri Krishna)

श्रीमद भगवद गीता के 121 अनमोल वचन

कोई भी इंसान जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है।

अच्छी नीयत से किया गया काम कभी व्यर्थ नहीं जाता, और उसका फल आपको अवश्य मिलता है।

Bhagavad Gita Motivational Quotes in Hindi
Bhagavad Gita Motivational Quotes in Hindi,

भगवद्गीता के प्रेरणादायक विचार- जिस तरह आग सोने को परखती है, उसी तरह मुसीबत एक बहादुर इंसान को।

Quotes from Bhagavad Gita in Hindi
Best Quotes from Bhagvad Gita in Hindi

श्रीमद भगवद्गीता के प्रेरणादायक विचार- ज्यादा खुश होने पर और ज्यादा दुखी होने पर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह दोनों परिस्थितियाँ आपको सही निर्णय नहीं लेने देती हैं।

Bhagavad Gita Quotes
Best Bhagvad Gita Quotes in Hindi

उस दिन हमारी सारी परेशानियाँ खत्म हो जाएंगी, जिस दिन हमें यकीन हो जाएगा कि हमारा सारा काम ईश्वर कि मर्जी से ही होता है। - श्रीमद भगवद्गीता

बुराई बड़ी हो या छोटी हमेशा विनाश का कारण बनती है, क्योंकि नाव में छेद छोटा हो या बड़ा नाव को डुबा ही देता है।

जो होने वाला है वह होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होगा, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्म करते रहो।

Shrimad Bhagavad Gita Quotes
Bhagwat Geeta Quote by Shri Krishna

श्रीमद भगवद्गीता का अनमोल कथन- बुराई बड़ी हो या छोटी, हमेशा विनाश का कारण बनती है। क्योंकि नाव में छेद छोटा हो या बड़ा नाव को डूबा ही देता है।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagwad Geeta Quotes Hindi Mein

श्रीमद भगवद्गीता के अनमोल कथन- ऐसे तीन मार्ग हैं जो आत्मा के पतन की ओर ले जाते हैं। ये काम, क्रोध और लोभ हैं और इनका त्याग करना ही सर्वोत्तम है। -श्रीमद भगवद गीता सुविचार

Shrimad Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagwad Geeta Quotes Hindi Mein

श्रीमद भगवद्गीता के अनमोल कथन- जिस मनुष्य ने अपनी सभी भौतिक इच्छाओं का परित्याग कर दिया हो और इंद्रिय तृप्ति की लालसा, स्वामित्व के भाव और अहंकार से रहित हो गया हो, वह पूर्ण शांति प्राप्त कर सकता है।

ऐसे तीन मार्ग हैं जो आत्मा के पतन की ओर ले जाते हैं। ये काम, क्रोध और लोभ हैं और इनका त्याग करना ही सर्वोत्तम है।

अभ्यास से हर चीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है।

सच्चा धर्म यह है, कि जिन बातों को इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता है, उन्हे दूसरों के लिए भी इस्तेमाल ना करें।

ज्यादा खुश होने पर और ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए। क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको सही निर्यय नहीं लेने देती हैं।

कोई भी इंसान अपने विश्वास से बनता है, वह जैसा विश्वास करता है, उसी के अनुसार बन जाता है।

जब हमारा मन कमजोर होता हैं, तब परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं और जब हमारा मन कठोर होता है तब परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं। जब हमारा मन मजबूत होता हैं, तब परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं।

लगातार कोशिश करने से अशांत मन को भी वश में किया जा सकता हैं।

जिस तरह आग सोने को परखती है उसी तरह मुसीबत एक बहादुर इंसान को।

जो मनुष्य फल की इच्छा का त्याग करके केवल कर्म पर ध्यान देता है, वह अवश्य ही जीवन में सफल होता है।

परिवर्तन संसार का नियम है, समय के साथ संसार मे हर चीज परिवर्तन के नियम का पालन करती है।

इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता है यह जानते हुए भी कि भाग्य से भी ऊंचा उसका कर्म है, जो उसके स्वयं के हाथों में है।

श्रीमद भगवद गीता के सुविचार
Bhagwad Geeta Hindi Quotes HD Image

श्रीमद भगवद्गीता के अनमोल विचार - जब जब धरती पर धर्म का पतन और अधर्म में वृद्धि होती है, तब उस समय मैं पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagwad Geeta Suvichar Hindi Mein

श्रीमद भगवद्गीता के अनमोल कथन- कर्म करो, फल की चिंता मत करो।

Bhagavad Gita Hindi Quotes
Bhagwad Geeta Hindi Quotes

श्रीमद भगवद्गीता के अनमोल कथन- आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत तथा पुरातन हैं। शरीर के मारे जाने पर वह मारी नहीं जाती।

जिस मनुष्य ने अपनी सभी भौतिक इच्छाओं का परित्याग कर दिया हो और इंद्रिय तृप्ति की लालसा, स्वामित्व के भाव और अहंकार से रहित हो गया हो, वह पूर्ण शांति प्राप्त कर सकता है।

आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत तथा पुरातन हैं। शरीर के मारे जाने पर वह मारी नहीं जाती।

मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय, लाभ या हानि, प्रसन्नता या दुःख इत्यादि के बारे में सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए।

कर्म करो, फल की चिंता मत करो।

अपने आपको भगवान के प्रति समर्पित कर दो, यही सबसे बड़ा सहारा है, जो कोई भी इस सहारे को पहचान गया है, वह डर, चिंता और दुखो से आजाद रहता है।

जब जब धरती पर धर्म का पतन और अधर्म में वृद्धि होती है, तब उस समय मैं पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।

वह व्यक्ति जो अपनी मृत्यु के समय मुझे याद करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है और इसमें कोई शंशय नही है।

अभिमान नहीं होना चाहिए की मुझे किसी की जरुरत नहीं पड़ेगी और यह वहम भी नहीं होना चाहिए की सब को मेरी जरुरत पड़ेगी। 

मदद सबकी करो मगर आशा किसी से मत रखो, क्योंकि सेवा का सही मूल्य ईश्वर ही दे सकते हैं।

जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह इंसान से उसकी जुबान ही करवाती हैं।

जो बीत गया उस पर दुःख क्यों करना, जो है उस पर अहंकार क्यों करना, और जो आने वाला है उसका मोह क्यों करना।

नकारात्मक विचारों का आना तय है लेकिन यह आप पर निर्भर करता हैं, की आप उन्हें महत्व देते हैं या फिर अपने सकारात्मक विचारों पर ही ध्यान लगाए रहते हैं।

जो आपका है वो आपको मिलकर ही रहेंगा, फिर चाहे उसे छीनने के लिए पूरी कायनात एक हो जाए।

प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत आपके अपने विचार है, इसलिए बड़ा सोचे और खुद को जितने के लिए हमेशा प्रेरित करें।

अगर आप अपनी गलतियों से कुछ सीखते हो, तो गलतियां सीढ़ियाँ बनती हैं और अगर नहीं सीखते हैं, तो गलतियां सागर हैं, फैसला आपका है चढ़ना है या डूबना है।

इस दुनिया में कोई भी पूरी तरह से सही नहीं है इसलिए लोगों की अच्छाइयों को देखकर उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाए।

मानव कल्याण ही भगवद गीता का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय, मानव कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।

भगवद गीता कोट्स इन संस्कृत


भगवद गीता कोट्स इन संस्कृत
Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च। तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

Sanskrit Bhagwat Geeta Shlok
Sanskrit Bhagwat Geeta Shlok with Hindi Meaning HD Image

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥ (अध्याय 9, श्लोक 22)

Shree Krishna Bhagavad Gita Sanskrit Quotes
Shree Krishna Bhagavad Gita Sanskrit Quotes

वसंसि जीर्णानि यथा विहाय। नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा। न्यानि संयाति नवानि देही॥ (अध्याय 2, श्लोक 22)

भगवद गीता कोट्स इन संस्कृत
भगवद गीता कोट्स इन संस्कृत, Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit with meaning in Hindi

उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:॥ (अध्याय 6, श्लोक 5)

Karma Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit
Karma Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥ (अध्याय 18, श्लोक 66)

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है इसलिए जो अटल है अपरिहार्य है उसके विषय में तुमको शोक नहीं करना चाहिये।

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
(अध्याय 9, श्लोक 22)
जो भक्त अनन्य भाव से मेरा ध्यान करते हैं और मुझमें लीन रहते हैं, उनके योगक्षेम (आवश्यकता और सुरक्षा) का मैं स्वयं भार उठाता हूं।

वसंसि जीर्णानि यथा विहाय।
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा।
न्यानि संयाति नवानि देही॥
(अध्याय 2, श्लोक 22)
जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करती है।

उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:॥
(अध्याय 6, श्लोक 5)
मनुष्य को स्वयं अपना उद्धार करना चाहिए, न कि स्वयं को नीचे गिराना चाहिए। क्योंकि आत्मा ही मनुष्य की मित्र है और आत्मा ही उसका शत्रु।

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
(अध्याय 18, श्लोक 66)
सभी धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आ जाओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा। चिंता मत करो।

Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit Short
Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit Short

योग: कर्मसु कौशलम्। (अध्याय 2, श्लोक 50)

Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit
Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥ (अध्याय 2, श्लोक 47)

Bhagavad Gita Quotes on Dharma in Sanskrit
Bhagavad Gita Quotes on Dharma in Sanskrit

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। (अध्याय 4, श्लोक 38)

Bhagavad Gita Sanskrit Shlok
Bhagavad Gita Sanskrit Shlok with Hindi Meaning HD Image

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। (अध्याय 4, श्लोक 38)

Geeta Shlok Paritranam Sadhunam
Geeta Sanskrit Shlok Paritranam Sadhunam HD Image

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ (अध्याय 4, श्लोक 8)

Karma Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit
Karma Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit

सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥ (अध्याय 2, श्लोक 38)

योग: कर्मसु कौशलम्। (अध्याय 2, श्लोक 50)
योग का अर्थ है कर्मों में कुशलता। जो व्यक्ति अपने कर्मों को समर्पण भाव से करता है, वही सच्चा योगी है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
(अध्याय 2, श्लोक 47)
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में नहीं। इसलिए कर्म को फल की कामना से मत करो और न ही कर्म न करने में आसक्त हो।

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। (अध्याय 4, श्लोक 38)
इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान ही आत्मा को शुद्ध करता है।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(अध्याय 4, श्लोक 7)
हे भारत, जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने रूप को प्रकट करता हूं।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
(अध्याय 4, श्लोक 8)
साधुओं की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूं।

सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥
(अध्याय 2, श्लोक 38)
सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान समझकर अपने कर्तव्य का पालन करो। ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे।

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