जानिए गायत्री मंत्र का हिन्दी में अर्थ क्या है | Gayatri Mantra
Gayatri Mantra Lyrics, Meaning Benefits in Hindi: हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली मंत्र माना गया है, क्यूंकी ये असीम ऊर्जा के भंडार भगवान सूर्य देव को समर्पित है। गायत्री मंत्र को मंत्रराज की भी उपाधि प्राप्त है, क्योंकि इसकी सहायता से महा उद्देश्यों और सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है।
गायत्री मंत्र
इस मंत्र को हिन्दू धर्म का सबसे उत्तम और शक्तिशाली मंत्र माना गया है, गायत्री मंत्र में 24 अक्षर हैं जो 24 शक्तियों के प्रतीक हैं। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने का मंत्र कहा है।
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
अर्थात् ‘सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के प्रसिद्ध पवणीय तेज़ का (हम) ध्यान करते हैं, वे परमात्मा हमारी बुद्धि को (सत् की ओर) प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र भगवान सूर्य को समर्पित है, इसका अर्थ है- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
इस मंत्र में प्रत्येक शब्द के आधार पर भी इसका अर्थ निमन्वत है। मंत्र के प्रथम नौ शब्द प्रभु के गुणों के बारे में बताते हैं।
ॐ = सबकी रक्षा करने वाला हर कण कण में मौजूद
भू = सम्पूर्ण जगत के जीवन का आधार और प्राणों से भी प्रिय
भुवः = सभी दुःखों से रहित, जिसके संग से सभी दुखों का नाश हो जाता है
स्वः = वो स्वयं:, जो सम्पूर्ण जगत का धारण करते हैं
तत् = उसी परमात्मा के रूप को हम सभी
सवितु = जो
सम्पूर्ण जगत का उत्पादक है
र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने
योग्य अति श्रेष्ठ है
भर्गो = शुद्ध स्वरूप और पवित्र
करने वाला चेतन स्वरूप है
देवस्य = भगवान स्वरूप जिसकी
प्राप्ति सभी करना चाहते हैं
धीमहि = धारण करें
धियो = बुद्धि को
यो = जो देव परमात्मा
नः = हमारी
प्रचोदयात् = प्रेरित करें, अर्थात बुरे
कर्मों से मुक्त होकर अच्छे कर्मों में लिप्त हों
गायत्री मंत्र के फायदे
Gayatri Mantra Benefits Hindi: इस मंत्र के नियमित जप से बहुत से लाभ हैं-
- बौद्धिक क्षमता व मेधा शक्ति बढ़ती है।
- व्यक्ति का तेज व कांति बढ़ती है।
- मानसिक चिंताओं से मुक्ति व सकारात्मक्ता बढ़ती है।
- आस पास की नकारात्मक शक्ति दूर हो जाती है।
- विभिन्न असाध्य रोगों व कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इसके अतिरिक्त गायत्री मंत्र को सर्वसिद्धि अर्थात सभी मनोकामना पूर्ण करने वाला मंत्र बताया गया है। इसके जप से जीवन सफलता व खुशियों से परिपूर्ण हो जाता है।
गायत्री मंत्र साधना (जाप विधि)
गायत्री मंत्र साधना के नियम अत्यंत सरल हैं, इसमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- सर्वप्रथम स्नान आदि से शुद्ध होकर, स्वच्छ व सूती वस्त्र धारण करें।
- कुश या चटाई का आसन लगाएँ, जाप के लिए तुलसी या चन्दन की माला ले लें।
- प्रात:काल पूर्व की ओर, सायंकाल पश्चिम की ओर मुंह करके, आसन बिछाकर जप के लिए बैठना चाहिए।
- पास में जल का पात्र और धूप बत्ती जलाकर, साक्षी स्वरूप रख लें।
- अब गायत्री माता के चित्र को अभिवादन, ध्यान करें।
- अब मंत्रों का उच्चारण प्रारम्भ करें। ( आप मंत्रों का उच्चारण इस प्रकार करें कि आपके होंठ हिलते रहें, स्वर कंठ में होना चाहिए और समीप बैठे व्यक्ति को भी स्पष्ट रूप से ध्वनि ना सुनाई दे )
- तर्जनी उंगली से माला को स्पर्श करना चाहिए, माला पूरी हो जाने पर उसे उलट देना चाहिए।
- कम से कम आपको 108 मंत्रों की एक माला का जप नित्य करना चाहिए।
- जाप के पश्चात समीप रखा जल सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ा देना चाहिए।
नोट: गायत्री मंत्र से पूर्व गायत्री शाप विमोचन मंत्र का पाठ करना आवश्यक होता है। क्योंकि गायत्री मंत्र को विभिन्न ऋषियों के द्वारा शापित किया गया था, इसके बिना गायत्री मंत्र का वास्तविक फल नहीं मिलता है।
माता गायत्री की विशेष पुजा व व्रत के लिए रविवार का दिन शुभ होता है। रविवार के दिन इनका व्रत व हवन अत्यंत उत्तम माना जाता है।