प्रेमानन्द जी महाराज के अनमोल विचार (Premanand Ji Maharaj Quotes)

Premanand Ji Maharaj Quotes in Hindi, Suvichar aur Anmol Vachan aur kathan

आज के समय में श्री प्रेमानन्द जी महाराज को कौन नहीं जानता है, सोश्ल मीडिया पर उनके प्रवचन और सत्संग लोगों की एक भारी संख्या द्वारा देखे जाते हैं। महाराज जी सत्संग और अपने प्रवचनों के माध्यम से भौतिकतावादी संसार को अध्यात्मिकता और भक्ति का पथ प्रदर्शित करते हैं। 

महाराज जी के विचार और सत्संग इतने प्रभावित करने वाले होते हैं, की देश के बड़े-बड़े सेलेब्रिटी भी उनके सत्संग में नजर आते हैं। प्रेमानद जी महाराज के भजन और प्रवचन के साथ साथ राधा-कृष्ण प्रेम व लीलाओं की कथाएँ उनके द्वारा सुनाये जाने पर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। 

प्रेमानन्द जी महाराज के प्रवचन अत्यंत गूढ़ ज्ञान के साथ साथ लंबे समयावधि वाले होते हैं, जिनका संदेश जीवन की सार्थकता, सुख और शांति की ओर ले जाना है। इसलिए महाराज जी के प्रवचनों और सत्संगों के रस रूपी अनमोल विचारों व कथनो को हम प्रकाशित कर रहें हैं, जिन्हे पढ़कर, जानकर अपने जीवन में उतार सकते हैं। 

प्रेमानन्द जी महाराज के सुविचार

सुख एवं दुःख की स्थिति सत्य नहीं है। सुख का स्वरुप विचार से है।

जो हरि का भक्त होता है, उसे हमेशा जय की प्राप्ति होती है। उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है।

जिनके मुख में प्रभु का नाम नहीं है, वह भले ही जीवित है लेकिन मुख से मरा हुआ है।

कोई व्यक्ति तुम्हें दु:ख नहीं देता बल्कि तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दु:ख के रूप में प्राप्त होते हैं।

जिसका चरित्र ठीक नहीं है, वह कभी सुखी नहीं हो पाएगा इसलिए चरित्रवान बनो।

हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति से क्या होगा, कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।

बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा। आज तुम बुरा कर रहे हो, तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं। जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए, अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा, त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचा नहीं सकेगा।

क्रोध से कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है, ये आपके समस्त गुणों का नाश कर देता है।

कौन क्या कर रहा है, इस पर ध्यान मत दो। केवल हमें सुधारना है, इस पर ध्यान दो।

ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।

क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है... बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।

दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए, दुखिया का जो मुखिया सुने, तो तेरी गति क्या होए।

प्रभु का नाम जप संख्या से नहीं, डूब कर करो।

यदि हम अपने मन को शांत और स्थिर करना चाहते हैं तो इसका एक उपाय यह है कि हम दृढ़तापूर्वक भगवान के चरणों में शरण लें और उनके नाम का जाप करें।

स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है। तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है, वह उनकी कृपा का प्रभाव है। तुम जिसका भोग कर रहे हो, वह सब ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ कर्म करो, जीवन यापन करो, जीवन सुखमय होगा।

इस भौतिक संसार में किसी के पास आपको पकड़ने की शक्ति नहीं है, आप ही हैं जो पकड़ते हैं और आप ही हैं जिन्हें छोड़ना है।

अगर आप अपने मन को वश में करना चाहते हैं तो पवित्र नाम का जाप करें।

सभी समस्याओं के समाधान का एक सरल उपाय है। ईश्वर को अपना वास्तविक स्वरूप स्वीकार करें, उसके स्थान पर किसी को न रखें।

सुबह उठते ही गुरुदेव को प्रणाम करें और निर्णय लें कि आज हम अपना पूरा समय भगवान को समर्पित करने का पूरा प्रयास करेंगे।

सत्य की राह चलने की निंदा और बुराई अवश्य होती है, इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है।

भगवान की आराधना के बिना मनुष्य सुख प्राप्त नहीं कर सकता; स्वप्न में भी शान्ति नहीं मिल सकती।

किसी भी तीर्थ में, किसी भी उत्सव में, किसी भी महान उत्सव में इतनी शक्ति नहीं है जितनी भगवान के नाम में है, इसलिए अपने आप को भगवान के नाम में डुबो दें।

भगवद प्राप्ति के लिए वेश परिवर्तन की नहीं, अपितु उद्धेश्य परिवर्तन की आवश्यकता है।

Premanand Ji Quotes Images

प्रेमानन्द जी महाराज के अनमोल विचार
Best Premanand Ji Maharaj Suvichar in Hindi HD Image

जो हरि का भक्त होता है, उसे हमेशा जय की प्राप्ति होती है। उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है।

प्रेमानन्द जी महाराज के अनमोल प्रवचन
Premanand Maharaj Ke Anmol Pravachan

जिसका चरित्र ठीक नहीं है, वह कभी सुखी नहीं हो पाएगा इसलिए चरित्रवान बनो। -श्री हित प्रेमानन्द जी महाराज

प्रेमानद महाराज के अनमोल कथन
Premanad Maharaj telling about how can we reform our lives.

कौन क्या कर रहा है, इस पर ध्यान मत दो। केवल हमें सुधारना है, इस पर ध्यान दो। -श्री हित प्रेमानन्द जी महाराज

Premanand Ji Maharaj Inspirational Quotes in Hindi
Premanad Maharaj telling about how can we Control anger.

क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है... बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है। -श्री हित प्रेमानन्द जी महाराज

श्री हित प्रेमानन्द जी महाराज के सुविचार
Spiritual thoughts on swami Premanand maharaj in Hindi

स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है। तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है, वह उनकी कृपा का प्रभाव है। तुम जिसका भोग कर रहे हो, वह सब ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ कर्म करो, जीवन यापन करो, जीवन सुखमय होगा। -श्री हित प्रेमानन्द जी महाराज

प्रेमानन्द महाराज की ज्ञान की बातें
Swami Premanand Ji Maharaj Suvichar in Hindi HD image

सत्य की राह चलने की निंदा और बुराई अवश्य होती है, इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है। -श्री हित प्रेमानन्द जी महाराज

Premanand Ji Maharaj Quotes in Hindi

संसार में फँसाने के लिए तो लाखों लोग हैं, लेकिन संसार से निकालकर ईश्वर से मिलाने वाले एकमात्र आपके गुरुदेव ही हैं।

तन और मन को पवित्र रखने से संसार से वैराग्य हो जाता है और इन्हें अपवित्र रखने से भोगों और शरीर मे आसक्ति बढ़ जाती है।

अपनी सारी कमियों से चिंतन हटाकर, एकमात्र प्रभु का चिंतन करिए, आप में समस्त दिव्य गुण जागृत हो जाएँगे।

जिसकी जवानी तपमय है, उसकी वृद्धावस्था महान आनंदमय होगी और जिसकी जवानी भोगमय है, उसकी वृद्धावस्था दुर्गतिमय होगी।

जिसके मुख में नाम चल रहा है, उसका दसों दिशाओं में अमंगल नहीं हो सकता।

यदि भजन नहीं करोगे, तो तुम्हें कोई सुखी नहीं कर सकता।

जो भगवान की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन उनके सामने नृत्य करता है, ऐसे प्रेमी उपासक को संसार की माया के सामने नृत्य नही करना पड़ता।

भगवान पूर्ण रूप से परम स्वतंत्र हैं, लेकिन वे अपने भक्तों के प्रेम को स्वीकार करके उनके अधीन हो जाते हैं।

समस्त साधना और सेवा का फल है... "अहंकार का नाश".... और यह फल केवल गुरुदेव ही प्रदान करते हैं।

एक ही सूत्र जीवन में सुलझाने के लिए पर्याप्त है की, हमारे इष्ट के सिवा कुछ था नहीं, कुछ है नहीं, और कुछ रहेगा नहीं।

कामना सम्पूर्ण पापों, संतपों, दुःखों और जन्म मरण की जड़ है, कामना वाले व्यक्ति को जागृत तो क्या स्वप्न में भी सुख नहीं मिल सकता है इसलिए कामनाओं का त्याग करें।

समस्त असाधनों को मिटाने के लिए सर्वसमर्थ साधन है, निरंतर भगवत स्मरण और पवित्र आचरण...।

भगवान ने ये जो शरीर रूपी खेत दिया है, जो बो रहे हो वही काटना भी पड़ेगा। बुद्धिमान हो, इसलिए प्रभु की आज्ञा से चलो, दुख तुम्हें स्पर्श भी नहीं कर पाएगा। 

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