स्वामी रामदेव के अनमोल वचन (Swami Ramdev Quotes)
बाबा रामदेव, भारतीय योग गुरु और आयुर्वेद के प्रमुख प्रचारक हैं। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1965 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में हुआ था। उन्होंने योग, प्राणायाम, ध्यान और आयुर्वेद के गहरे ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।
स्वामी जी ने शाकाहार, योग और आयुर्वेद को मानव जीवन के लिए सात्विक विचारों का आधार बताया है। Swami Ramdev Quotes in Hindi के रूप में मैंने उनके कुछ प्रमुख विचार कुछ इस प्रकार हैं।
बाबा रामदेव के अनमोल कथन
अपने भीतर संकल्प की अग्नि हमेशा प्रज्वलित रखो। इससे आपका जीवन हमेशा प्रकाशमान रहेगा।
असंभव को संभव बनाने के लिये एक आदमी के पास असीमित क्षमता है।
कोई भी साधु वस्त्र से संत नहीं होता, चरित्र से होता है।
जीवन को छोटे उद्देश्यों के लिए जीना जीवन का अपमान है।
किसी व्यक्ति की नही व्यक्तित्व की पूजा करो। चित्र की नही चरित्र की पूजा करो। कर्म को अपना धर्म मानो। राष्ट्रधर्म को सबसे ऊपर रखो।
अपने भीतर संकल्प की अग्नि हमेशा प्रज्वलित रखो। इससे आपका जीवन हमेशा प्रकाशमान रहेगा। - बाबा रामदेव
मैं माँ भारती का अमृतपुत्र हूँ, “माता भूमि: पुत्रोहं प्रथिव्या:”
अपनी आन्तरिक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें तो हम पुरुष से महापुरुष व मानव से महामानव बन सकते हैं।
मैं माँ भारती का अमृतपुत्र हूँ, “माता भूमि: पुत्रोहं प्रथिव्या:”।
अपनी आन्तरिक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें तो हम पुरुष से महापुरुष व मानव से महामानव बन सकते हैं।
दृढ़ता हो, जिद्द नहीं। बहादुरी हो, जल्दबाजी नहीं। दया हो, कमजोरी नहीं।
सदा चेहरे पर प्रसन्नता व मुस्कान रखो। दूसरों को प्रसन्नता दो, तुम्हें प्रसन्नता मिलेगी।
“मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव” की संस्कृति अपनाओ।
भगवान सदा हमें हमारी क्षमता, पात्रता व श्रम से अधिक ही प्रदान करते हैं।
बाह्य जगत में प्रसिद्धि की तीव्र लालसा का अर्थ है- तुम्हें आन्तरिक समृद्धि व शान्ति उपलब्ध नहीं हो पाई है।
अपवित्र विचारों से एक व्यक्ति को चरित्रहीन बनाया जा सकता है, तो शुध्द सात्विक एवं पवित्र विचारों से उसे संस्कारवान भी बनाया जा सकता है। - बाबा रामदेव
ध्यान-उपासना के द्वारा जब तुम ईश्वरीय शक्तियों के संवाहक बन जाते हो तब तुम्हें निमित्त बनाकर भागवत शक्ति कार्य कर रही होती है। - बाबा रामदेव
विचारों की अपवित्रता ही हिंसा, अपराध, क्रूरता, शोषण, अन्याय, अधर्म और भ्रष्टाचार का कारण है।- बाबा रामदेव
बाह्य जगत में प्रसिद्धि की तीव्र लालसा का अर्थ है- तुम्हें आन्तरिक समृद्धि व शान्ति उपलब्ध नहीं हो पाई है।
मानव जीवन भगवान की सबसे बडी सौगात है। मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान का सबसे बडा उपहार है।
स्वधर्म में अवस्थित रहकर स्वकर्म से परमात्मा की पूजा करते हुए तुम्हें समाधि व सिध्दि मिलेगी।
“इदं राष्ट्राय इदन्न मम” मेरा यह जीवन राष्ट्र के लिए है।
इन्सान का जन्म ही, दर्द एवं पीडा के साथ होता है। अत: जीवन भर जीवन में काँटे रहेंगे। उन काँटों के बीच तुम्हें गुलाब के फूलों की तरह, अपने जीवन-पुष्प को विकसित करना है।
अपवित्र विचारों से एक व्यक्ति को चरित्रहीन बनाया जा सकता है, तो शुध्द सात्विक एवं पवित्र विचारों से उसे संस्कारवान भी बनाया जा सकता है।
वैचारिक दरिद्रता ही देश के दुःख, अभाव पीडा व अवनति का कारण है।
आहार से मनुष्य का स्वभाव और प्रकृति तय होती है। शाकाहार से स्वभाव शांत रहता है, व मांसाहार मनुष्य को उग्र बनाता है।
ध्यान-उपासना के द्वारा जब तुम ईश्वरीय शक्तियों के संवाहक बन जाते हो तब तुम्हें निमित्त बनाकर भागवत शक्ति कार्य कर रही होती है।
विचारवान व संस्कारवान ही अमीर व महान है तथा विचारहीन ही कंगाल व दरिद्र है।
प्रेम, वासना नहीं उपासना है। वासना का उत्कर्ष प्रेम की हत्या है, प्रेम समर्पण एवं विश्वास की परकाष्ठा है।
विचारों की अपवित्रता ही हिंसा, अपराध, क्रूरता, शोषण, अन्याय, अधर्म और भ्रष्टाचार का कारण है।