वर दे, वीणावादिनि वर दे - सरस्वती वंदना (Var De Veena Vadini Var De)

वर दे, वीणावादिनि वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव
भारत में भर दे।
वर दे, वीणावादिनि वर दे॥

काट अंध उर के बंधन स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे।
वर दे, वीणावादिनि वर दे॥

नव गति, नव लय, ताल छंद नव
नवल कंठ, नव जलद मन्द्र रव
नव नभ के नव विहग वृंद को,
नव पर नव स्वर दे।
वर दे, वीणावादिनि वर दे॥

वर दे, वीणावादिनि वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव
भारत में भर दे।
वीणावादिनि वर दे॥

 Veena Vadini Var De Image

Var De Veena Vadini Var De Lyrics in Hindi

यह सरस्वती वंदना छायावाद के स्तम्भ माने जाने वाले हिन्दी के कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी के द्वारा रचित है।
भारत के विद्यालयों में इसे प्रातः प्रार्थना के रूप में गाया जाता है।

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