अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी, नमन करो रे प्राणी -भजन (Arghya Chadhaao Prani, Naman Karo Re Prani)
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी,
नमन करो रे प्राणी,
अर्घ्य चढ़ाओ
प्राणी,
नमन करो रे प्राणी,
चौदह भुवन के स्वामी,
सकल लोक के
गामी।
सतरंगी किरनो के ज्योति में,
सूर्य है अंतर्यामी।
हे दिनेश दिनकेश्वर,
नमामि नमामि नमामि,
प्रणाम करो रे प्राणी।
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन करो रे प्राणी,
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन
करो रे प्राणी।
चौदह भुवन के स्वामी,
सकल लोक के गामी।
सूर्य देवता साक्षात् हैं,
सभी प्रकशित इनसे।
चन्द्र बृहस्पति बुध
शुक्र शनि,
सभी प्रभावित इनसे।
सूर्याय नमः, सूर्याय नमः,
सूर्याय नमः, सूर्याय नमः,
सूर्य की पूजा जो करते हैं,
होते जग में ज्ञानी।
प्रणाम करो रे
प्राणी।
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन करो रे प्राणी,
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन
करो रे प्राणी।
ओ, चौदह भुवन के स्वामी,
सकल लोक के गामी।
सूर्य की महिमा बड़ी निराली,
जिसपे कृपा होती है,
उसको धन वैभव सब
मिलता,
दुनिया उसी की चमकती है।
सूर्याय नमः, सूर्याय नमः,
सूर्याय नमः, सूर्याय नमः,
सूर्य रश्मि निर्मल करती,
पावन हो खलगामी।
प्रणाम करो रे प्राणी।
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन करो रे प्राणी,
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन
करो रे प्राणी।
ओ, चौदह भुवन के स्वामी,
सकल लोक के गामी।
चौदह भुवन के स्वामी,
सकल लोक के गामी।
सतरंगी किरनो के ज्योति में,
सूर्य
है अंतर्यामी।
प्रणाम करो रे प्राणी॥
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन करो रे प्राणी,
अर्घ्य चढ़ाओ प्राणी
नमन
करो रे प्राणी।