श्री संकटा अष्टकम (Shri Sankata Ashtakam)
॥ श्रीसङ्कटाष्टकम् ॥
नमो काशिनी वासिनी गंग तीरे
सदा अर्चितं चंदनं रक्त पुष्पं।
सदा
वंदितं पुजितं सर्व देवं
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥१॥
नमो मोहिनी मोहितं भूत सैन्यै
सदा चन्द्र बदनी हंसै विकरालम्।
सदा मृगनयनी गुणा रूप वरणी
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥२॥
नमो खड्गहस्ते गले रूण्डमाला
नमो गर्जितं भूमि कंपायमानम्।
सदा मर्दितं भूत महिषासुरेण
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥३॥
नमो मुक्ति देवी नमो वेदमाता
सदा योगिनी ,योगिनी , योग गम्या।
सदा कामिनी मोहितं काम राज्यं
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥४॥
नमो पुष्प शय्या गले मुण्डमाला
सदा कोकिला कांचन रूप वरणी।
सदा रणविषे शत्रु संहारकरणी
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥५॥
इदं पंचरत्नं पठेत् प्रात: काले
हरे पाप तन के बढे धर्म ज्ञानम्।
सदा दुख:मे कष्ट मे रक्ष पालम्
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥६॥
तू ही संकटे योगिनी योग धारय
तू ही कामिनी मोहितं काम राज्यं।
तू ही विश्वमाता करे खड्गधारम्
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी॥७॥
संकटा अष्टकम् इदं पुण्यं प्रातः काले पठेन्नर:
तस्य पीड़ा विनिष्यन्ति सर्व
काम: फलं लभेत्॥८॥
॥ इति संकटाष्टकं सम्पूर्णम ॥