जानिए शनिदेव के 9 वाहन और उनका आपके जीवन पर उसका प्रभाव (Shani Dev Ki Sawari)

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Shani Dev Ki Sawari: हिन्दू धर्म में शनि देव को नौ ग्रहो में से एक प्रमुख देवता माना जाता है, शनिदेव भगवान सूर्य और छाया (संवर्णा) के पुत्र है। मुख्यतः भगवान शनि के सात सवारी (वाहन) हैं, इसके अतिरिक्त इनके दो वाहन और माने गए हैं। शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव मनुष्य के कर्म के अनुसार फल देने वाले हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी भगवान शनि को न्यायधीश कहा गया है, इनका न्याय निष्पक्ष होता है। इसलिए लोग इन्हें कठोर देवता भी मानते हैं। ज्योतिष के आधार पर भगवान शनि के कुल 9 वाहन हैं, अलग अलग सवारी और स्वरूप में शनिदेव जब विभिन्न राशियों में प्रवेश करते हैं, तो उनके फल भी भिन्न होते हैं। 

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शनि देव के 7 वाहनों की जानकारी इस चौपाई से मिलती है।

वाहन प्रभु के सात सुजाना।
दिग्गज, गर्दभ, मृग, अरुस्वाना॥
जम्बुक, सिंह आदि नखधारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

इसका तात्पर्य है कि शनि देव के सात वाहन हैं- हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध। इसके अलावा भैंसा व कौए को भी इनका वाहन माना गया है। शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी की राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार उसे अच्छे-बुरे फल की प्राप्ति होती है।

शनि के वाहन का निर्धारण  –

निम्न दो विधियों के द्वारा शनि की सवारी का निर्धारण किया जाता है, तदोपरांत की शुभ या अशुभ फल प्राप्ति निर्धारित हो जाती है। चलिये जानते हैं की शनिदेव के वाहन का निर्धारण कैसे किया जाता है?

व्यक्ति को अपने जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड़ कर योगफल को नौ से भाग करना चाहिए। शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है। 

शनि का वाहन जानने की एक अन्य विधि भी प्रचलन मे है। इस विधि मे निम्न विधि अपनाते हैं:

शनि के राशि प्रवेश करने की तिथि संख्या + ऩक्षत्र संख्या + वार संख्या + नाम का प्रथम अक्षर संख्या, सभी को जोड़कर योगफल को 9 से भाग किया जाता है। शेष संख्या शनि का वाहन बताती है।

दोनो विधियो मे शेष 0 बचने पर संख्या नौ समझनी चाहिए।

शेष संख्या वाहन
1 गधा
घोड़ा
3 हाथी
4 भैंसा
5 सिंह
6 सियार
7 कौआ
8 मोर
9 हंस

नोट- शेष संख्या (शेषफल) 0 आने पर संख्या 9 समझनी चाहिए और शनि का वाहन हंस समझना चाहिए।

शनि देव के वाहन के प्रभाव

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1. शनिदेव का वाहन गधा - जब शनिदेव का वाहन गधा होता है तो यह शुभ नहीं माना जाता है। तब जातक को शुभ फलों को मिलने में कमी होती है। जातक को इस स्थिति में कायों में सफलता प्राप्त करने में लिए काफी प्रयास करना होता है। यहां जातक को अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता हैं।

2. शनिदेव का वाहन घोड़ा - यदि शनिदेव का वाहन घोड़ा हो तो जातक को शुभ फल मिलते हैं। इस समय जातक समझदारी से काम लें तो अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकता है। घोड़े को शक्ति का प्रतिक माना जाता है, इसलिय व्यक्ति इस समय जोश और उर्जा से भरा होता है।

3. शनिदेव का वाहन हाथी - यदि शनि का वाहन हाथी हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। यह जातक को आशा के विपरीत फल देता है। इस स्थिति में जातक को साहस और हिम्मत से काम लेना चाहिए। परीत स्थिति में घबराना बिलकुल नहीं चाहिए।

4. शनिदेव का वाहन भैंसा - यदि शनिदेव का वाहन भैंसा हो तो जातक को मिला जुला फल प्राप्ति की उम्मीद होती है। इस स्थिति में जातक को समझदारी और होशियारी से काम करना ज्यादा बेहतर होता है। यदि जातक सावधानी से काम न ले तो कटु फलों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है।

5. शनिदेव का वाहन सिंह - यदि शनि की सवारी सिंह हो तो जातक को शुभ फल मिलता है। इस समय जातक को समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए इससे शत्रु पक्ष को परास्त करने में मदद मिलती है। इस अवधि में जातक को अपने विरोधियों से घबराने या डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

6. शनिदेव का वाहन सियार -  यदि शनि का वाहन सियार हो तो जातक को शुभ फल नहीं मिलते है। इस दौरान जातक को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इस स्थिति में जातक को बहुत ही हिम्मत से काम लेना होता है।

7. शनिदेव का वाहन कौआ - यदि शनि का वाहन कौआ हो तो जातक को इस अवधि में कलह में बढ़ोतरी होती है। परिवार या दफ्तर में किसी मुद्दे को लेकर कलह या टकरावों की स्थिति से बचना चाहिए। इस समय जातक को शांति, संयम और मसले को बातचीत से हल करने का प्रयास करना चाहिए।

8. शनिदेव का वाहन मोर - शनि का वाहन मोर हो तो जातक को शुभ फल देता है। इस समय जातक को अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। इस दौरान जातक को समझदारी से काम करने पर बड़ी-बड़ी परेशानी से भी पार पाया जा सकता है। इसमें मेहनत से आर्थिक स्थिति को भी सुधारा जा सकता है।

9. शनिदेव का वाहन हंस - यदि शनि का वाहन हंस हो तो जातक के लिए बहुत शुभ होता है। इस सायम जातक अपनी बुद्धि औए मेहनत करके भाग्य का पूरा सहयोग ले सकता है। इस अवधि में जातक की आर्थिक में सुधार देखने को मिलता है। हंस को शनि के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है।

शनि देव का वाहन कौन सा है?
वैसे तो शनि देव के सात वाहनों (हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध) की जानकारी एक चौपाई द्वारा मिलती है, परंतु भैंसे और कौवे को मिलाकर इनकी संख्या नौ हो जाती है। लेकिन मुख्यतः शनि देव का वाहन कौआ है, यह सर्वमान्य और सर्वविदित है।
शनि देव का कौवा वाहन क्यों है?
जब शनि देव और उनकी माता छाया जंगल में रह रहे थे। तभी एक बार जंगल में आग लगी जिसमें से शनिदेव की माता छाया तो उस आग से आसानी से निकल गईं परंतु शनि देव उसी में फंसे थे। उस समय कौवे ने उनकी सहायता करके बाहर निकाला, तभी से शनि देव को कौवा अति प्रिय है और उनका वाहन भी है। इसके अतिरिक्त कौवा एक चालाक जीव है, जो आसानी से किसी भी खतरे को भाँप सकता है।
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