मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल - भजन (Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol)
Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol Lyrics
पल पल व्याकुलता बढ़े,
छिन छिन छीजे रैन।
कर विलाप हरि मनुज सम,
कहत बंधु से बैन॥
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,
भैया भैया कह के, भैया भैया कह के,
रस प्राणों में घोल,
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल॥
इस धरती पर और ना होगा, मुझ जैसा हतभागा,
मेरे रहते बाण शक्ति का, तेरे तन में लागा।
जा नहीं सकता तोड़ के ऐसे, मुझसे नेह का धागा,
मैं भी अपने प्राण तजूँगा, आज जो तू नहिं जागा।
अंखियो के तारे, अंखियो के तारे,
लल्ला अंखियां तू खोल,
मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल॥
बीती जाए रैन पवनसुत, क्यों अब तक नहिं आए,
बुझता जाए आस का दीपक, मनवा धीर गंवाए।
सूर्य निकलकर सूर्य वंश का, सूर्य डुबो ना जाए,
बिना बुलाये बोलने वाला, बोले नहीं बुलाये।
चुप चुप रहके, चुप चुप रहके,
मेरा धीरज ना तोल,
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
रे मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल॥