गजाननं भूत गणादि सेवितं - गणेश मंत्र (Gajananam Bhoota Ganadhi Sevitam)
गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक
विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
मंत्र का मूल रूप-
गजाननं भूतगणादि सेवितं
कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
गजानन (हाथी के जैसे सिर वाले), भूत गण इत्यादि के द्वारा सेवा किए जाने वाले, आप कपित्थ और जाम्बु /जामुन का भक्षण (चाव से खाने वाले) करने वाले। जो उमा (माता पार्वती) के पुत्र हैं, जो समस्त दुखों का नाश करने वाले हैं। मैं विघ्न (बाधाओं) को दूर करने वाले श्री गजानन जी को, जिनके चरण कमल के समान हैं, नमन करता हूँ।
* भूत गण जो भगवान शिव के भक्त हैं। शिव पुत्र होने के कारण भूतगणों को गणेश जी का भी भक्त कहा गया है। श्री गजानन जी को कैथ तथा जामुन के फल अत्यंत ही प्रिय हैं।
शब्दशः अर्थ-
गजाननं- गज के समान मुख वाले
भूतगणादि- भूत गण (गणादि)
सेवितं- पूजा करते हैं
कपित्थ- कपिता (कैथ) फल
जम्बूफलचारु- जाम्बू फल को चाव से
भक्षणम्- खाने वाले
उमासुतं- उमा के सुत (माता पार्वती के पुत्र)
शोक- शोक (दुःख, क्लेश, परेशानियाँ)
विनाशकारकं- विनाश (नष्ट) करने वाले
नमामि- नमन है
विघ्नेश्वर- विघ्न का विनाश करने वाले
पादपङ्कजम्- जिनके चरण कमल के समान हैं