जितना राधा रोई, रोई कान्हा के लिए - भजन (Jitna Radha Roi Roi Kanha Ke Liye)

Jitna Radha Roi Roi Kanha Ke Liye

(जब कभी मित्रता की बात आती है, तो उनमें से सर्वोपरि नाम श्री कृष्ण और सुदामा का आता है। सुदामा गरीब ब्राह्मण पुत्र थे और श्री कृष्ण मथुरा के राजकुमार, दोनों की मित्रता में अटूट प्रेम था। जब श्री कृष्ण ने गोकुल को छोड़ा,  उस क्षण राधा सहित समस्त गोकुल वासी कृष्ण वियोग में रो रहे थे, परंतु इधर श्री कृष्ण थे जोकि अपने मित्र सुदामा के वियोग में रो रहे थे। धन्य है ऐसी मित्रता...)

जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए,
जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए॥

जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए,
जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए॥

(जब मित्र सुदामा द्वारिका नरेश श्री कृष्ण के द्वार पर पहुँचते हैं, तो श्री कृष्ण सुदामा की यह दुर्दशा देख अपने आँख के आँसू रोक नहीं पाते हैं।)

यार की हालत देखी, उसकी हालत पे रोया।
यार के आगे अपनी शान-ओ-शौकत पे रोया।
यार की हालत देखी, उसकी हालत पे रोया।
यार के आगे अपनी शान-ओ-शौकत पे रोया।

ऐसे तड़पा जैसे शमा परवाना के लिए,
ऐसे तड़पा जैसे शमा परवाना के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए॥

(सुदामा के मन में झिझक थी, द्वारकाधीश के वस्त्र और आभूषणों के समक्ष अपने मलीन फटे वस्त्रों को देख, सुदामा श्री कृष्ण से दूर ही खड़े रो रहे थे परंतु श्री कृष्ण ने उसने कहा - "सुदामा, क्या अपने मित्र के गले नहीं लगोगे?")

यार को लगा कलेजे, बात भर-भर के रोया,
और अपने बचपन को याद कर-कर के रोया।
यार को लगा कलेजे, बात भर-भर के रोया,
और अपने बचपन को याद कर-कर के रोया।

ये ऋण था अनमोल कि श्याम दीवाना के लिए,
ये ऋण था अनमोल कि श्याम दीवाना के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए।

(श्री कृष्ण से मिलने की लालसा लिए द्वारिका के रास्ते पर निकले पड़े सुदामा ने उस तपती धूप एवं पथरीले रास्तों पर चलते हुए यह भी नहीं देखा कि उनके पाँव की स्थिति क्या है? यह तो तब पता चला जब श्री कृष्ण की नज़र सुदामा के पाँव पर पड़ी।)

पाँव के छाले देखे तो दुख के मारे रोया,
पाँव धोने के ख़ातिर ख़ुशी के मारे रोया।
पाँव के छाले देखे तो दुख के मारे रोया,
पाँव धोने के ख़ातिर ख़ुशी के मारे रोया।

आँसू थे भरपाई बस हर्जाना के लिए,
आँसू थे भरपाई बस हर्जाना के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए।

(कृष्ण के आँसुओं से सुदामा के दुख और दरिद्रता धुल रहे थे, अपने मित्र से मिलकर सुदामा निहाल हो गए। इधर कृष्ण की आँखों में अब भी आँसू थे, परंतु ये आँसू अब ख़ुशी के आँसू थे।)

उसके आने से रोया, उसके जाने से रोया।
होके गदगद चावल के दाने-दाने पे रोया।
उसके आने से रोया, उसके जाने से रोया।
होके गदगद चावल के दाने-दाने पे रोया।

बनवारी वो रोया बस याराना के लिए,
बनवारी वो रोया बस याराना के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए॥

जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए,
जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए॥

कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए,
कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए...

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