वक्रतुण्ड महाकाय: गणेश मंत्र (Vakratunda Mahakaya Mantra)
हिन्दू धर्म में गणेश भगवान को प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य या किसी भी देवी या देवता की पूजा में सबसे पहले गणपती जी की ही पूजा की जाती है। वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र का उच्चारण किसी भी कार्य के पूर्व में अवश्य करना चाहिए, जिससे आप गणेश जी से उस कार्य के बिना बाधा या रुकावट के पूर्ण होने की कामना गणेश जी से करते हैं।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु
सर्वदा ॥
घुमावदार सूंड वाले, विशालकाय शरीर वाले, करोड़ों सूर्य के समान महान
प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु गणेश, हमेशा मेरे सभी कार्य निर्विघ्न (बिना किसी
रुकावट, समस्या या बाधा) पूरे करने की कृपा करें॥
शब्दों के अर्थ:
वक्रतुण्ड: घुमावदार सूंड,
महाकाय: महा काया, विशाल शरीर,
सूर्यकोटि: करोड़ सूर्य के समान,
समप्रभ: महान प्रतिभाशाली,
निर्विघ्नं: बिना विघ्न,
कुरु: पूरे करें,
मे: मेरे,
देव: प्रभु,
सर्वकार्येषु: सारे कार्य,
सर्वदा: हमेशा,
सदैव
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
Vakra-Tunndda Maha-Kaaya
Suurya-Kotti Samaprabha |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
Nirvighnam Kuru Me
Deva Sarva-Kaaryessu Sarvadaa ||
Vakratunda Mahakaya Images
Vakra-Tunndda Maha-Kaaya Suurya-Kotti Samaprabha | Nirvighnam Kuru Me Deva Sarva-Kaaryessu Sarvadaa ||
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥