माँ विंध्यवासिनी आरती - ॐ विंध्यवासिनी माँ (Maa Vindhyavasini Aarti)
ॐ विंध्यवासिनी माँ, मैया विंध्यवासिनी माँ।
आदिशक्ति जगदम्बा, विपति नाशिनी माँ।
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
भयहारिणि भवतारिणि सुख आनंद राशी।
अविकारिणि अघहारिणि अविचल अविनाशी॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
विन्ध्याचल गिरिवर में मंदिर अति सुन्दर।
रतन जड़ित सिंहासन मंदिर के अंदर॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
श्यामल रूप लुभावन मूरत मनहारी।
ममतामयि दोउ आँखे प्यारी रतनारी॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
माथे मुकुट कुंडल अरु नाशा मणि सोहे।
मुखमंडल की आभा भक्तन मन मोहे॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
दुखहरणी सुखकरणी मन चिंताहरणी।
दयामयी करुणामयी जग-मंगलकरणी॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
उमा रमा ब्रह्माणी माँ सविता सीता।
आदिशक्ति-महामाया-आद्या-भवप्रीता॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
मधु-कैटभ, महिषासुर धूम्रनयन दलनी।
शुंभ-निशुंभ संहारिणि, चण्ड-मुण्ड हननी॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
विधि हरि हर सुर मुनि जन तेरा ध्यान धरें।
राजा रंक तपस्वी सुमिरन सतत करैं॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥
विन्ध्येश्वरी की आरती जो कोई नित गावे।
“रमन” सकल सुख वैभव शुभ सद्गति पावे॥
ॐ विंध्यवासिनी माँ...॥