शैलपुत्री माता की चालीसा (Shailputri Mata Chalisa)
माँ शैलपुत्री चालीसा
॥ दोहा ॥
शैलपुत्री माँ नमो नमः कथा मैं करूँ बखान।
बुद्धि विवेक बल दीजिए करिए पूरण
काम॥
॥ चौपाई ॥
शैलपुत्री सब सुख की दानी।
प्रथमा देवी श्री महारानी॥
नवरात्रि का वार जो आवे।
प्रथम दिवस मैया मन भावे॥२॥
व्रत पूजन धारे नर नारी।
सकल सुमंगल पावे सारी॥
रिद्धि सिद्धि वर देवन वाली।
अष्टभुजी मां अति बलशाली॥४॥
राजा हिमालय सुता कहाई।
तब गिरिजा की काया पाई॥
रूप मनोरम शील सुशीला।
धर्म नीति संग प्रेम था कीन्हा॥६॥
शिव भक्ति में रहे मां लीना।
ध्यान जोग मां गौरा लीन्हा ॥
रहती हरदम मात गंभीरा।
रुक जावे बहती समीरा॥८॥
राजा हिमालय देखत जावे
चिंता ग्लानि बहुत सतावे॥
तब जाकर नारद बुलवाए।
लक्षण सारे तब समझाए॥१०॥
नारद ने सब कथा थी जानी।
अंतर ध्यान से सब पहचानी॥
गिरिजा माता को जब देखा।
भक्तिभाव और ज्ञान को परखा॥१२॥
नारद अद्भुत ज्ञान था पाया।
काल की जानी सारी माया॥
मन में उपजी तब सुमति है।
जान गए गिरिजा ही सती है॥१४॥
पूर्व जनम में देह त्यागी।
शिव से मिली न नार को भागी॥
नारद ने तब ज्ञान बताया।
गौरा को तब सार बताया॥१६॥
शिव लीला के सार को जाना।
गिरिजा ने शिव को पहचाना॥
शिव के वरण की मन में आयी।
इच्छा बेल ऐसी उपजाई॥१८॥
शिव को पाना नहीं सरल है।
नारद बोले काज विरल है॥
शिव को ऐसी नार वरेगी।
शिव के तेज का पूर्ण सहेगी॥२०॥
ऐसी रची ना कोई माया।
ऐसी बनी न कोई काया॥
शिव के तेज को जो सह पाए।
शिव के वरण को जो मन भाए॥२२॥
शिव के तप को देवी करती।
शिव के नाम को सदा सुमरती॥
देवी तप ने रच दी माया।
गौरा ने तब शिव को पाया॥२४॥
शिव के मन को तब अति भायी।
पटरानी बन संग सुहाई॥
शिव की बन गई प्रिय जो नारी।
शैलपुत्री। वो प्रथम कहाई॥२६॥
पहला व्रत उनका ही धारे।
मैया सबके काज संवार॥
नौ देवी के पूज जो आये।
सब ही गौरा मात मनाए॥२८॥
गौरवर्ण है श्वेत है काया।
माँ का चंचल रूप है भाया॥
वृषभ सवारी मां की सुहावनी।
शंख कमाल है कर में साजे॥३०॥
मैया का सुमिरन जो करते।
उनके ना कभी काम बिगड़ते॥
शैलपुत्री मां अभय की दानी।
शक्ति भरी है अति बलशाली॥३२॥
वरमुद्रा मे सुख से भरती।
अभय मुद्रा मे रक्षा करती॥
ज्योत जगे जिसकी नूरानी।
दुखड़े हरती अम्बे भवानी॥३४॥
नवरात्रों मे ध्यान लगा लो।
गर मुक्ति का मां से पालो॥
मैया की महिमा है निराली।
भंडारे सब भरने वाली॥३६॥
ममतामयी मां रूप विशाला।
सब भक्तन की दीन दयाला॥
वर मुक्ति का देने वाली।
सुख यश वैभव की है दानी॥३८॥
पढ़े जो शैलपुत्री चालीसा।
सकल लोक को उसने जीता॥
मां की अतुलित कृपा पाई।
शैलपुत्री मां है सुखदाई॥४०॥
॥ दोहा ॥
शैलपुत्री महिमा सुनो, करो चालीसा पाठ।
मां की कृपा पाओगे, बनेगी बिगड़ी
बात॥