आचार्य चाणक्य के सुविचार व कथन (Chanakya Quotes in Hindi)

Chanakya Quotes in Hindi, Acharya Chanakya Thoughts and Quotes

Chanakya Quotes in Hindi: चाणक्य का लेखन और शिक्षाएं समय के पार हैं। उनकी रचना "अर्थशास्त्र" को शासन, राजनीति और आर्थिक प्रबंधन का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है। उनके सुविचार केवल ज्ञानवर्धक ही नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में मार्गदर्शन करने वाले हैं। चाणक्य की सोच और उनके सिद्धांत जीवन में अनुशासन, नीति और सफलता का मार्ग दिखाते हैं, जो आज के युग में भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

आचार्य चाणक्य, जिन्हें विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे। उनके नेतृत्व और बुद्धिमत्ता ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चाणक्य के सिद्धांत न केवल राजनीति और शासन की दृष्टि से प्रभावशाली हैं, बल्कि जीवन जीने की कला और नैतिकता के मार्गदर्शन के लिए भी अमूल्य हैं। उनका जीवन और विचार आज भी हमारे जीवन को प्रेरित और मार्गदर्शित करते हैं।

इस लेख में, हम आचार्य चाणक्य के सुविचारों और कथनों का संग्रह लेकर आए हैं, जो आपके जीवन में सकारात्मकता, सफलता और आत्मनिर्भरता लाने में मदद करेंगे।

Chanakya Quotes in Hindi

एक मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी होती हैं, जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।

कौशल को छुपा हुआ खजाना कहा जाता है क्योंकि वो परदेस में एक माँ की तरह बचत करते हैं।

जो मनुष्य सभी प्राणियों के लिए दया और करुणा रखता है वह निश्चित रूप से धार्मिक है। उसे अपनी धार्मिकता साबित करने के लिए किसी धार्मिक प्रतीक या चिन्ह की आवश्यकता नहीं है।

जहां ये पांच व्यक्ति न हों, वहां एक भी दिन न रुकें: एक धनी व्यक्ति, एक वैदिक विद्या में पारंगत ब्राह्मण, एक राजा, एक नदी और एक वैद्य।

वह जो नाशवान के लिए जो अविनाशी है उसे त्याग देता है, जो अविनाशी है उसे खो देता है; और निस्संदेह उसे खो देता है जो नाशवान भी है।

एक उत्कृष्ट बात जो शेर से सीखी जा सकती है वह यह है कि मनुष्य जो कुछ भी करने का इरादा रखता है उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करना चाहिए।

संतुलित मन के समान कोई तपस्या नहीं है, और संतोष के समान कोई सुख नहीं है; लोभ जैसा कोई रोग नहीं, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं।

भगवान मूर्तियों में मौजूद नहीं है। आपकी भावनाएं ही आपका भगवान हैं। आत्मा तुम्हारा मंदिर है।

सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है-: कभी भी अपने राज़ किसी को मत बताना। यह आपको नष्ट कर देगा।

फूलों की सुगंध हवा की दिशा में ही फैलती है। लेकिन इंसान की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।

कभी भी ऐसे लोगों से दोस्ती न करें जो हैसियत में आपसे ऊपर या नीचे हों। ऐसी दोस्ती आपको कभी खुशी नहीं देगी।

नदियों, शस्त्र धारण करने वाले पुरुषों, पंजों या सींग वाले जानवरों, स्त्रियों और राजपरिवार के सदस्यों पर भरोसा न करें।

कठोर लोगों को नर्म बनाना है, दूर वालों को अपनी ओर आकर्षित करना है, यदि वे हमारा बुरा करें तो अपना लक्ष्य समझकर भी हमें उनसे सदा प्रेम रखना चाहिए।

मनुष्य अकेला पैदा होता है और अकेला ही मरता है; और वह अपने कर्मों के अच्छे और बुरे परिणामों को अकेले ही भोगता है; और वह अकेला ही नरक या परमधाम जाता है।

आध्यात्मिक शांति के अमृत से संतुष्ट लोगों को जो सुख और शांति प्राप्त होती है, वह लालची व्यक्तियों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती है।

ब्राह्मण की ताकत उसकी विद्या में है, एक राजा की ताकत उसकी सेना में है, एक वैश्य की ताकत उसके धन में है और एक शूद्र की ताकत उसकी सेवा के दृष्टिकोण में है।

मूर्खता वास्तव में कष्टदायक होती है, और यौवन भी कष्टदायक होता है, लेकिन इससे कहीं अधिक कष्टदायक होता है किसी दूसरे के घर में रहना।

बुद्धिमान व्यक्ति को सारस की भाँति अपनी इन्द्रियों को वश में करना चाहिए और अपने स्थान, समय और योग्यता को जानकर अपने उद्देश्य को पूरा करना चाहिए।

पैसा आता है और चला जाता है, इसलिए युवा है। जीवन जाता है और आत्मा जाती है, कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता। केवल एक चीज जो दृढ़ रहती है वह है आपका विश्वास।

किसी व्यक्ति का भविष्य उसकी वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर मत आंकिए, क्योंकि समय में इतनी ताकत है कि वह काले कोयले को चमकदार हीरे में बदल सकता है।

वाणी की पवित्रता, मन की, इंद्रियों की, और एक दयालु हृदय की आवश्यकता उस व्यक्ति को होती है जो दिव्य मंच पर उठने की इच्छा रखता है।

नदी के किनारे के पेड़, दूसरे आदमी के घर में एक महिला और बिना सलाहकार के राजा निस्संदेह तेजी से विनाश के लिए जाते हैं।

जो कुछ भी करने के बारे में आपने सोचा है उसे कभी प्रकट न करें, लेकिन बुद्धिमान परिषद द्वारा इसे गुप्त रखें और इसे क्रियान्वित करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहें।

मूर्ख को सलाह देना, दुराचारी स्त्री की देखभाल करना और सुस्त और दुखी व्यक्ति की संगति करना अविवेक है।

एक बार जब आप किसी चीज़ पर काम करना शुरू कर दें। असफलता से डरो मत और उसका परित्याग मत करो। जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वे सबसे ज्यादा खुश होते हैं।

दूसरों की गलतियों से सीखें। आप उन सभी को स्वयं बनाने के लिए पर्याप्त समय तक जीवित नहीं रह सकते।

एक अकेला चंद्रमा अंधेरे को दूर करता है, जो कई तारे भी मिलकर नहीं कर सकते।

साँप के दाँत में, मक्खी के मुँह में और बिच्छू के डंक में ज़हर होता है; परन्तुा दुष्टम मनुष्यद इससे अतृप्तक है।

एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कुत्ते की पूंछ की तरह बेकार है जो न तो उसके पिछले सिरे को ढकती है और न ही कीड़ों के काटने से बचाती है।

जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने का प्रयास करें; जब मृत्यु निकट हो तो तुम क्या कर सकते हो ?

वह जो हमारे मन में रहता है वह निकट है हालांकि वह वास्तव में दूर हो सकता है; लेकिन जो हमारे दिल में नहीं है वह दूर है, भले ही वह वास्तव में पास हो।

नैतिक उत्कृष्टता व्यक्तिगत सुंदरता के लिए एक आभूषण है; धर्मी आचरण, उच्च जन्म के लिए; सीखने में सफलता; और धन के लिए उचित खर्च।

किसी व्यक्ति की उत्पत्ति का अनुमान उसके व्यवहार से, उसके मूल स्थान का उसके स्वर से, और उसके भोजन के सेवन का अनुमान उसके पेट के आकार से लगाया जा सकता है।

अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार न हों क्योंकि जंगल में जाकर आप देखेंगे कि सीधे पेड़ कट जाते हैं और टेढ़े खड़े रह जाते हैं।

हमें सदैव वही बोलना चाहिए जो उस व्यक्ति को प्रसन्न करे जिससे हम कृपा की अपेक्षा रखते हैं, जैसे शिकारी जब हिरण को मारने की इच्छा करता है तो वह मधुर गीत गाता है।

कई बुरी आदत अतिभोग के माध्यम से विकसित की जाती है, और बहुत से एक अच्छी सजा से, इसलिए अपने बेटे के साथ-साथ अपने शिष्य को भी मारो; उन्हें कभी शामिल न करें।

मनुष्य को ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए जहां लोग कानून से डरते नहीं हैं, बेशर्म हैं, और जहां चतुर लोग नहीं हैं, जहां लोगों में दया की कमी है, और जहां कोई रचनात्मकता या कला नहीं है।

अत्यधिक सुंदरता ने सीता का अपहरण कर लिया, अत्यधिक अभिमान ने रावण को मार डाला और अत्यधिक दान ने राजा बलि को गंभीर संकट में डाल दिया। इसलिए अति किसी भी चीज की बुरी होती है। बहुत ज्यादा से बचना चाहिए।

एक बार मनुष्य की महत्वाकांक्षा जागृत हो जाए, तो उसे कोई नहीं रोक सकता। एक व्यापारी के लिए कोई देश बहुत दूर नहीं हो सकता। एक बुद्धिमान व्यक्ति के लिए विदेश जैसी कोई चीज नहीं होती है। वह जहां भी जाता है घर पर होता है।

जो व्यक्ति भविष्य में आने वाली परेशानियों से अवगत होता है और अपनी बुद्धि से उनका सामना करता है, वह हमेशा सुखी रहता है। और जो मनुष्य अच्छे दिनों की बाट जोहते हुए निष्क्रिय (बिना काम किए) रहता है, वह अपना प्राण खोएगा।

आचार्य चाणक्य के प्रेरक विचार

यदि आपको बुरे व्यक्ति और साँप के बीच चयन करना है, तो साँप को चुनें। क्योंकि सांप आपको केवल आत्मरक्षा में काटेगा, लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति किसी भी कारण और किसी भी समय या हमेशा काटेगा।

कोई भी काम शुरू करने से पहले हमेशा अपने आप से तीन सवाल पूछें -: मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं और क्या मैं सफल हो पाऊँगा। जब आप गहराई से सोचें और इन सवालों के संतोषजनक जवाब पाएं, तभी आगे बढ़ें।

जिस प्रकार सुगन्धित पुष्पों से लदा वृक्ष सारे वन में सुगन्ध फैलाता है। इसी प्रकार एक योग्य पुत्र पूरे परिवार, समुदाय और देश का नाम रोशन करता है।

भगवान लकड़ी, या पत्थर या मिट्टी की मूर्तियों में नहीं रहते हैं। उनका वास हमारी भावनाओं में, हमारे विचारों में है। यह केवल इस भावना से है कि हम इन मूर्तियों में भगवान को विद्यमान मानते हैं।

एक बार जब आप किसी चीज़ पर काम करना शुरू कर देते हैं तो असफलता से डरो मत और इसे मत छोड़ो। जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वे सबसे ज्यादा खुश होते हैं।

विनम्रता आत्म नियंत्रण के मूल में है।

एक उत्कृष्ट बात जो एक शेर से सीखी जा सकती है वह यह है कि एक आदमी जो कुछ भी करने का इरादा रखता है उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करना चाहिए।

जिस तरह एक सूखा पेड़ आग लगने पर पूरे जंगल को जला देता है, उसी तरह एक दुष्ट पुत्र पूरे परिवार को नष्ट कर देता है।

जिस देश में रोजी-रोटी का कोई साधन न हो, जहां लोगों में भय न हो, जहां लोगों में भय न हो, जहां लोगों में लज्जा न हो, जहां बुद्धि न हो, जहां दान की प्रवृत्ति न हो, बुद्धिमान व्यक्ति को उस देश में कभी नहीं जाना चाहिए।

एक गुरु जो अपने शिष्य को धार्मिकता का मार्ग दिखाता है, वह बहुत बड़ा कर्ज छोड़ जाता है। इसका भुगतान नहीं किया जा सकता क्योंकि कोई भी भौतिक वस्तु इतनी कीमती नहीं है।

शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते है।

एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कुत्ते की पूंछ के तरह ही बेकार है जो न तो उसके पिछवाड़े को रक्षित करता है, न ही कीड़ों के काटने से बचाता है।

एक अशिक्षित व्यक्ति चाहे वह कितना भी अच्छा क्यों न हो या वह किसी भी परिवार का क्यों न हो; वह उस फूल की तरह बेकार है जिसमें रंग तो है पर सुगंध नहीं।

सौ गुणों से रहित पुत्रों की अपेक्षा एक ही गुणों से युक्त पुत्र का होना श्रेयस्कर है। क्योंकि चाँद एक होकर भी उस अन्धकार को दूर कर देता है, जो तारे असंख्य होते हुए भी नहीं मिटा पाते।

भाषण की पवित्रता, मन की, इंद्रियों की, और एक दयालु हृदय की आवश्यकता होती है, जो दिव्य मंच पर उठने की इच्छा रखता है।

फूलों की सुगंध हवा की दिशा में ही फैलती है। लेकिन, एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।

मूर्ख शिष्य को पढ़ाने से, दुष्टा स्त्री के पालन-पोषण से अथवा दीन-दुखियों के सम्पर्क में रहने से, बुद्धिमान मनुष्य भी दुख पाते हैं।

आपत्ति काल के लिये धन की रक्षा करे, धन से बढ़कर स्त्री की रक्षा करे तथा धन और स्त्री दोनों से बढकर सर्वदा अपनी रक्षा करनी चाहिए।

आपत्ति निवारणार्थ धन की रक्षा करना उचित है। धनी मनुष्य है तो विपत्ति कैसी ? लक्ष्मी (धन) चंचल है। कभी-कभी संजोया धन भी नष्ट हो जाता है।

यदि जहर में अमृत मिला हो तो हँसी-खुशी से पी लेना चाहिए।

जहाँ पर अमीर लोग, वेदों के पाठ करने वाले पण्डित दयालु राजा न हो, बीमार होने पर दवा-दारू का प्रबन्ध न हो, वहाँ पर रहना बेकार है।

सोना यदि किसी गन्दी जगह पर पड़ा हो तो उसे उठा लेना चाहिए।

लड़की की शादी सदा अच्छे घर से करनी चाहिए।

यदि किसी दुष्ट वंश में बुद्धिमान कन्या हो तो उससे शादी कर लेनी चाहिए। गुण ही सबसे बड़ी विशेषता है।

शत्रु सदा उलझन में फंसा रहे तो अच्छा होता है।

समय के अनुसार ही अपने जीवन मार्ग को खोजना चाहिए।

अपने दिल की गुप्त बातें किसी को न बताओ मन का भेद दूसरों को देने वाले लोग सदा ही धोखा खाते हैं।

परिश्रम करने से इंसान की गरीबी दूर हो जाती है।

जिस जगह झगड़ा हो रहा हो, वहाँ पर कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए। कई बार ऐसे झगड़ो में बेगुनाह मारे जाते हैं।

हर प्राणी को पहले से ही सोचना चाहिए कि वह कौन सा पाप कर रहा है।

हर प्राणी को चाहिए कि वह यथार्थ का सहारा ले केवल कल्पना के समय बुरे परिणामों को सोचकर अपना खून न जलाता रहे।

अनाज से दस गुना आटे में, आटे से दस गुना दूध में, दूध से आठ गुना मांस में, और माँस से दस गुना शक्ति घी में होती है।

चिंता करने से रोग बढ़ते हैं, दूध पीने से शरीर बढ़ता है, घी से वीर्य बनता है, माँस खाने से माँस बढ़ता है। यह प्रकृति की देन है।

जिस स्थान पर जीविका, भय, लज्जा (शर्म), चतुराई और थोड़ा-बहुत त्याग करने की लगन इन पाँचों चीजों का अभाव हो वहाँ के लोगों का साथ कदापि न करे।

जहाँ पर धंनी (महाजन), वेद ज्ञाता ब्राह्मण, राजा, नदी या जलाशय अथवा वैद्य ये पाँचों विधमान न हों वहाँ एक दिन भी नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इनके रहने पर यह लोक अथवा परलोक दोनों बन जाता है।

बुरे समय के लिए बचत करना जरूरी है यह मत भुलो कि अच्छा समय सदा नहीं रहता है।

अंधेरा प्रकाश में बदलता रहता है वैसे ही समय।लक्ष्मी चंचल और रमणी है। यह एक स्थान पर कभी नहीं रूकती।

जिस देश में आदर नहीं, जीने के साधन नहीं, विद्या प्राप्त करने के स्थान नहीं। वहाँ पर रहने का कोई लाभ नहीं क्योंकि वहाँ पर उन्नति नहीं कर सकता।

अपने परिवार के बाकी लोगों के साथ प्यार का व्यवहार करें। अपने साथ सदा मीठे बोल बोलें, बदमाशों के साथ कड़ाई से पेश आयें।

भले और विद्वान लोगों से मेल रखे, जरूरत पड़ने पर औरत से छल करने वाले अन्त में कष्ट पाते हैं।

जो लोग लेन-देन, पढ़ाई-लिखाई पर हर प्राणी से खुलकर बात नहीं करते हैं। वे सदा आनन्द से रहते हैं।

अंधाधुन्ध खर्च करने वाले, जो अपनी आमदनी से अधिक खर्च करते हैं और दूसरों से बेमतलब झगड़ा करने वाले लोग कभी सुखी नही रह सकते।

प्राणी को यदि मुक्ति प्राप्त करनी हो तो उसे झूठे बन्धनों को तोड़ना होगा और अपने मन का सहारा लेना होगा। मनुष्य के लिए शान्ति का एक मात्र मार्ग केवल उसका मन है।

जीवन और मृत्यु का चक्र तो सदा से ही चलता रहा है। आत्मा अमर वह केवल अपना शरीर बदलती है। मनुष्य का जीवन यही आत्मा है।

आत्मा के साथ परमात्मा है। मनुष्य हर शरीर के साथ ही अपने जन्म के कर्मों का फल पाता है।

बिना पढ़े पुस्तक को अपने पास रखना। अपना कमाया धन दूसरों के हवाले करना। यह अच्छी बातें नहीं। इनसे दूर रहने में लाभ है।

जीवन, धर्म त्याग से मिलेगा। दुश्मन की शरण में जाने से धन मिले। ऐसे धन से आदमी निर्धन अच्छा, ऐसे जीवन से मौत अच्छी।

इस संसार में यदि आप किसी चीज पर पूर्ण रूप से विश्वास कर सकते हैं तो वह केवल आपका मन हैं। जो लोग अपने मन की आवाज सुनकर चलते हैं वे सदा सुखी रहते हैं।

नारी और धन दोनों ही कभी भी धोखा दे सकते हैं। इन दोनों के बारे में सदा होशियार रहें।

पुरूष की तुलना में नारी का आहार दो गुना, शर्म चार गुनी, साहस छः गुना, और कामवासना आठ गुनी अधिक होती है।

यदि दो व्यकित झगड़ पड़े तो उनमें से एक व्यकित को खामोश हो जाना चाहिये, जिससे झगड़ा तुरंत मिट जाता है।

हंस केवल वहीं पर रहते हैं, जहाँ पर उन्हें पानी मिलता है। सरोवर सूख जाने पर वह अपनी जगह बदल देते हैं किन्तु प्राणी को ऐसा स्वार्थी न होना चाहिए। उसे बार-बार अपना स्थान नहीं बदलना चाहिए।

सारी देशी दवाओं में गूर्च श्रेष्ठ माना जाता है? विश्व के जितने भी सुख है, उनमें सबसे अधिक सुख का साधन भोजन को माना जाता है।

आँखें प्राणी के लिए सबसे कीमती अंग है। इनके अन्दर मस्तिष्क का निवास होता है, इसलिए उसकी विशेषता से इंकार नहीं किया जाता।

अपने हाथों से किया काम सबसे श्रेष्ठ होता है। मनुष्य को अपना हर काम अपने हाथों से करना चाहिए।

Chanakya Quotes in Hindi on Relations

सच्चा पुत्र आज्ञाकारी होता है, सच्चा पिता प्रेम करने वाला होता है, और सच्चा मित्र ईमानदार होता है।

जब तक शत्रु की दुर्बलता का पता न चल जाए, तब तक उसे मित्रता की दृष्टि से रखना चाहिए।

जिस व्यक्ति का आचरण दुराचारी हो, जिसकी दृष्टि अशुद्ध हो, और जो कुटिलता के लिए प्रसिद्ध हो, उससे जो मित्रता करता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।

सच्चा मित्र वही है जो आवश्यकता, दुर्भाग्य, अकाल, या युद्ध के समय, राजा के दरबार में, या श्मशान में हमारा साथ न छोड़े।

धन, मित्र, पत्नी और राज्य तो वापस मिल सकता है, लेकिन यह शरीर खो जाने पर फिर कभी नहीं मिल सकता।

सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन में, रिश्तेदार को कठिनाई में, मित्र को विपत्ति में, और पत्नी को दुर्भाग्य में परखें।

कठिन समय में धन की रक्षा करनी चाहिए, धन की बलि देकर पत्नी की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन पत्नी और धन की बलि देकर भी अपनी आत्मा को अवश्य बचाना चाहिए।

हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है। बिना स्वार्थ के दोस्ती नहीं होती। यह एक कड़वा सच है।

जिस प्रकार एक दर्पण मनुष्य के चेहरे को दर्शाता है, उसी प्रकार उसके व्यक्तित्व की झलक उसके मित्रों की पसंद में दिखाई देती है। दोस्ती और जान-पहचान बनाने में हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि दोस्त एक तरह से किसी के आंतरिक झुकाव और प्रवृत्ति का विस्तार होते हैं।

पत्नी से वियोग, अपनों से तिरस्कार, युद्ध में बचा हुआ शत्रु, दुष्ट राजा की सेवा, दरिद्रता और कुप्रबंधन: ये छह प्रकार की बुराइयाँ यदि किसी व्यक्ति को पीड़ित करती हैं, तो उसे बिना आग के भी जला देती हैं।

पहले पांच साल अपने बच्चे के साथ दुलारे की तरह व्यवहार करें। अगले पांच साल तक उन्हें डांटो। जब तक वे सोलह वर्ष के नहीं हो जाते, तब तक उनके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करें। आपके बड़े हो चुके बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त हैं।

एक अच्छी पत्नी वह है जो सुबह अपने पति की सेवा एक माँ की तरह करती है, दिन में उसे बहन की तरह प्यार करती है और रात में एक वेश्या की तरह उसे प्रसन्न करती है।

एक दुष्ट पत्नी, एक झूठा मित्र, एक दुष्ट नौकर और एक घर में एक नागिन के साथ रहना मृत्यु के अलावा और कुछ नहीं है।

जिसका पुत्र उसका आज्ञाकारी है, जिसकी पत्नी का आचरण उसकी इच्छा के अनुरूप है, और जो अपने धन से संतुष्ट है, उसका स्वर्ग यहीं पृथ्वी पर है।

बुरे साथी पर भरोसा न करें और न ही साधारण मित्र पर भी भरोसा करें, क्योंकि अगर वह आपसे नाराज हो जाए तो वह आपके सारे राज खोल सकता है।

धन, मित्र, पत्नी और राज्य तो वापस मिल सकता है, लेकिन यह शरीर खो जाने पर फिर कभी प्राप्त नहीं हो सकता।

दुष्टा (कुमार्गी) स्त्री, कपटी (मूर्ख) मित्र, हर बात में जवाब देने वाला नौकर (दास) तथा जिस घर में सांप रहता हो उसमें रहना, ये सब मृत्यु तुल्य हैं, इसमें संदेह नहीं है।

कठिन काम पड़ने पर सेवक की, संकट के समय भाई बन्धु की, आपत्ति काल में मित्र की तथा धन के नाश हो जाने पर स्त्री की परीक्षा होती है।

मित्रता उस स्थान के लोगों से की जाए जहाँ पर डर, शर्म, चतुरता, त्याग जैसी आदतें अवश्य हों, अन्यथा उस देश अथवा उन लोगों के पास रहना भी उचित नहीं होता।

पुत्र, मित्र और परिवार के अन्य लोग अक्सर अपने से दूर हो जाते हैं।

पाप और पुण्य में क्या अन्तर होते है? मेरे मित्र कौन हैं, शत्रु कौन हैं? मुझे किस कार्य में लाभ हो सकता किसमें हानि? यहीं सोचकर उसे जीवन का हर पग उठाना चाहिए।

अमीर आदमी को ही अच्छा और गुणवान माना जाता है धन की पूजा सदा से ही होती रही है, इसलिए धन तो पास होना ही चाहिए धन पास हो तो शत्रु भी मित्र बन जाते हैं।

शक्तिशाली शत्रु, कमजोर मित्र सदा नुकसान देते हैं। क्योंकि कमजोर मित्र कभी भी विश्वास घात कर सकता है। परन्तु शत्रु से आदमी स्वयं होशियार रहता हैं।

Self Respect Chanakya Quotes in Hindi

आप जिस चीज के लायक हैं, उससे कम पर कभी समझौता न करें। यह अभिमान नहीं, स्वाभिमान है।

एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने बच्चे को सावधानी से पालता है क्योंकि उच्च मनोबल वाले शिक्षित व्यक्ति को ही समाज में सच्चा सम्मान मिलता है।

ऐसे देश में निवास न करें जहां आपका सम्मान न हो, आप अपनी आजीविका नहीं कमा सकते, कोई मित्र नहीं है, या ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते।

अपमानित होकर जीवन की रक्षा करने से अच्छा है मर जाना। जीवन की हानि केवल एक पल का दर्द देती है, लेकिन किसी के जीवन के हर दिन अपमान होता है।

एक विद्वान व्यक्ति लोगों द्वारा सम्मानित किया जाता है। एक विद्वान व्यक्ति अपनी विद्या के लिए हर जगह सम्मान पाता है। वास्तव में विद्या का सर्वत्र आदर होता है।

अपमानित होकर इस जीवन को सुरक्षित रखने से तो मर जाना ही अच्छा है। प्राणों की हानि क्षण भर का दु:ख देती है, परन्तु अपमान जीवन में प्रतिदिन दु:ख लाता है।

एक बुद्धिमान व्यक्ति को एक सम्मानित परिवार की लड़की से शादी करनी चाहिए, भले ही वह कुरूप हो। उसे अपनी सुन्दरता के कारण नीच जाति के व्यक्ति से विवाह नहीं करना चाहिए। समान स्थिति वाले परिवार में शादी करना बेहतर है।

शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है। शिक्षा सुंदरता और यौवन को हरा देती है।

बराबरी वालों में मित्रता पनपती है, राजा के अधीन सेवा सम्माननीय होती है, सार्वजनिक व्यवहार में व्यवसायी होना अच्छा होता है, और एक सुंदर महिला अपने घर में सुरक्षित रहती है।

जिस देश में सम्मान नहीं, जीविकोपार्जन का साधन नहीं, बन्धु-बाँधव भी नहीं और न विद्या का ही लाभ हो, तो ऐसे स्थान पर एक दिन भी वास नहीं करना चाहिए।

Chanakya Quotes in Hindi on Education

बुद्धिमान पुरुषों को हमेशा अपने पुत्रों को विभिन्न नैतिक तरीकों से पालना चाहिए, क्योंकि जिन बच्चों को नीति-शास्त्र का ज्ञान होता है और अच्छे व्यवहार वाले होते हैं, वे अपने परिवार के लिए एक गौरव बन जाते हैं।

जो माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते हैं, वो तो बच्चों के शत्रु के समान हैं, क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किए जाते हैं, जैसे हंसों की सभा में बगुले।

ज्ञान पवित्र कामधेनु के समान है और उस वृक्ष के समान है जो हर मौसम में फल देता है। अज्ञात क्षेत्रों में, यह सुरक्षा प्रदान करता है और आपको पुरस्कार प्रदान करता है।

ज्ञान को व्यवहार में लाए बिना खो जाता है। अज्ञानता के कारण मनुष्य खो जाता है। एक सेनापति के बिना एक सेना खो जाती है। और एक स्त्री पति के बिना खो जाती है।

जिसका ज्ञान किताबों तक ही सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्जे में है, वह जरूरत पड़ने पर न तो ज्ञान का उपयोग कर सकता है और न ही धन का।

एक लालची व्यक्ति को धन की पेशकश करके, उसके सामने एक अभिमानी व्यक्ति को ढँक कर जीता जा सकता है। मूर्ख को अनुनय-विनय से जीता जा सकता है और ज्ञानी को सत्य से ही जीता जा सकता है।

ब्राह्मण अपने संरक्षकों को उनसे भिक्षा प्राप्त करने के बाद छोड़ देते हैं, विद्वान अपने शिक्षकों को उनसे शिक्षा प्राप्त करने के बाद छोड़ देते हैं, और जानवर जले हुए जंगल को छोड़ देते हैं।

शिक्षा ही सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति हर जगह सन्मान पाता है. शिक्षा यौवन और सौंदर्य को परास्त कर देती है ।

वे, जिनके ज्ञान पुस्तकों तक ही सीमित हैं और जिनके धन दूसरों के कब्जे में हैं, वो आवश्यकता होने पर भी दोनों में से किसी का उपयोग नहीं कर पाते।

जिस तरह एक माँ अपने बच्चे की रक्षा करती है उसी तरह ज्ञान एक व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में बचाता है। यहां तक कि सबसे प्रतिकूल समय में भी एक ज्ञानी व्यक्ति अपनी बुद्धि के माध्यम से सब कुछ संभाल सकता है और अपने लिए रास्ता बना सकता है।

परिवार की स्थिति और शारीरिक सुंदरता किसी के व्यक्तित्व के लिए कोई मायने नहीं रखती है और उन्हें कभी आराम नहीं देना चाहिए। शिक्षा ही व्यक्ति के व्यक्तित्व में शक्ति, चरित्र, ज्ञान और गुणों का गुणगान करती है।

शिक्षा यदि किसी घटिया प्राणी से भी मिले तो लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।

मित्र को सदा धार्मिक ज्ञान देते रहना उचित है।

पागल बुद्धिहीन आदमी से सदा दूर रहो। ऐसे लोग पशु समान होते हैं। बुरी संगत से दूर रहो, अज्ञानी को पास न आने दो।

धर्म, धन, अन्न, गुरू का ज्ञान, दवाइयाँ आदि का सदा संग्रह करके रखना चाहिए। ऐसी सब चीजें समय आने पर इंसान के काम आती है।

जो ज्ञान देता है, वह गुरू है भले गुरू से मात्र एक अक्षर ही प्राप्त है।

चाणक्य के कड़वे वचन

असत्यता, उतावलापन, कपट, मूर्खता, लोभ, अस्वच्छता और क्रूरता स्त्री के सात स्वाभाविक दोष हैं।

पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है, यह सत्य की शक्ति है जो सूर्य को चमकाती है और हवा चलती है, वास्तव में सभी चीजें सत्य पर टिकी हुई हैं।

व्यक्ति को अधिक ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं और ईमानदार लोगों पर पहले शिकंजा कसा जाता है।

यदि पैर में मणि और सिर पर दर्पण रखा जाए, तो भी मणि अपना मूल्य नहीं खोती है।

संचित धन खर्च करने से बचता है जैसे कि आने वाला ताजा पानी रुके हुए पानी को बाहर निकालने से बचता है।

यह विचार छोड़ दो कि आसक्ति और प्रेम एक ही चीज है। वे शत्रु हैं। यह आसक्ति है जो सभी प्रेम को नष्ट कर देती है।

इस पृथ्वी पर तीन रत्न हैं – अन्न, जल और प्रिय वचन। मूर्ख लोग चट्टानों के टुकड़ों को रत्न समझते हैं।

बीमारी, दुर्भाग्य, अकाल और आक्रमण के समय जो कोई भी आपकी सहायता करता है, वही वास्तविक अर्थों में आपका सच्चा भाई है।

वे नीच लोग जो दूसरों के गुप्त दोषों की बात करते हैं, वे स्वयं को वैसे ही नष्ट कर देते हैं जैसे साँप चींटियों के टीलों पर भटक जाते हैं।

पापपूर्वक अर्जित धन दस वर्षों तक रह सकता है; ग्यारहवें वर्ष में यह मूल धन के साथ भी गायब हो जाता है।

जिस प्रकार एक सूखा पेड़ आग लगने पर पूरे जंगल को जला देता है, उसी प्रकार एक दुष्ट पुत्र पूरे परिवार को नष्ट कर देता है।

अपना धन केवल योग्य को दें और दूसरों को कभी नहीं। मेघों को प्राप्त समुद्र का जल सदैव मीठा होता है।

कांटों और दुष्ट लोगों से निपटने के दो तरीके हैं। एक उन्हें कुचल देना है और दूसरा उनसे दूर रहना है।

हर पहाड़ में माणिक नहीं होता, न ही हर हाथी के सिर में मोती होता है; न तो साधु हर जगह पाए जाते हैं, न ही हर जंगल में चंदन के पेड़।

भगवान लकड़ी, या पत्थर या मिट्टी की मूर्तियों में नहीं रहते हैं। उनका वास हमारी भावनाओं में, हमारे विचारों में है। इस भावना से ही हम इन मूर्तियों में ईश्वर को विद्यमान मानते हैं।

वह जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी स्थिति से चतुराई से निपटता है, वह दोनों खुश हैं, लेकिन भाग्यवादी व्यक्ति जो पूरी तरह से भाग्य पर निर्भर करता है, बर्बाद हो जाता है।

उस व्यक्ति से दूर रहें जो आपके सामने मीठी बातें करता है लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की कोशिश करता है, क्योंकि वह जहर से भरे घड़े के समान है जिसके ऊपर दूध होता है।

जो बीत गया उसके लिए हमें परेशान नहीं होना चाहिए, न ही हमें भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकी पुरुष केवल वर्तमान क्षण से निपटते हैं।

आचार्य चाणक्य के विचार आज भी समय के साथ उतने ही प्रासंगिक और प्रभावशाली हैं जितने उनके काल में थे। उनके सुविचार हमें न केवल जीवन में सही दिशा चुनने में मदद करते हैं, बल्कि हमें आत्मनिर्भर और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा भी देते हैं। आशा है, यह संग्रह आपके लिए प्रेरणादायक और उपयोगी साबित होगा।

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