एक श्लोकी भागवतम् अर्थ सहित (Ek Shloki Bhagwatam)
धर्म शास्त्रों में श्रीमद्भागवत को जीवन के समस्त कष्टों और पापों का नाशक माना गया है। इसके पाठ से न केवल व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं, बल्कि उसे परमात्मा का सान्निध्य भी प्राप्त होता है। हालांकि, आज के व्यस्त जीवन में संपूर्ण भागवत का पाठ करना हर किसी के लिए संभव नहीं है।
ऐसे में धर्म शास्त्रों ने "एक श्लोकी भागवत" को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। यह एक मंत्र के रूप में संपूर्ण भागवत का सार है, जिसका नित्य जप करने से संपूर्ण भागवत पाठ का पुण्य प्राप्त होता है।
एक श्लोकी भागवतम् श्लोक
आदौ देवकिदेविगर्भजननं गोपीगृहे वर्धनं।
मायापूतनजीवितापहरणं
गोवर्धनोद्धारणम्॥
कंसच्छेदनकौरवादिहननं कुंतीसुतां पालनं।
एतद्भागवतम् पुराणकथितं
श्रीकृष्णलीलामृतम्॥
॥ इति श्रीभागवतसूत्र ॥
एक श्लोकी भागवत का अर्थ
भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाएं, उनका जन्म देवकी के गर्भ से होता है। गोपियों के बीच उनका पालन-पोषण होता है। उन्होंने पापिनी पूतना का वध किया और गोवर्धन पर्वत को उठाकर भक्तों की रक्षा की। कंस का वध, कौरवों का नाश और कुंतीपुत्रों की रक्षा, ये सभी उनकी लीलाओं का हिस्सा हैं। यही श्रीमद्भागवत महापुराण का सार है।
शब्दार्थ-
आदौ = शुरुआत में;
देवकीदेवीगर्भजननं = देवी तुल्य देवकी के
गर्भ से जन्मा हुआ;
गोपीगृहे = ग्वालिन के घर में;
वर्धनं
= वृद्धि या विकास;
मायापूतनजीवितापहरणं = धोखेबाज पूतना (जिसने शिशु
कृष्ण को मारने की कोशिश की थी) का वध;
गोवर्धनोद्धधारणं = गोवर्धन
पर्वत उठाने वाले कृष्ण;
कंसच्छेदनकौरवधिहन्नं = कंस का वध और कौरवों का वध;
कुंतीसुतां
= कुंती के पुत्र;
पालनं = रक्षा करना (पालन करना);
एतद्भागवतं
= भगवान से संबंधित यह एक पुस्तक या कहानी;
पुराणकथितं = जैसा
'पुराण' में बताया गया है;
श्रीकृष्णलीलामृतं = आदरणीय कृष्ण की
अमृतमयी कथा;
इति = इस प्रकार;
श्रीभागवतसूत्र = भगवान श्रीकृष्ण की कहानी
संक्षिप्त रूप में;