श्री नाम रामायणम् (Naam Ramayan Lyrics)
श्री नाम रामायणम्, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण का संक्षिप्त रूप है। जिसमें भी सातों अध्याय है, जिसमें 108 श्लोक हैं, जिनके द्वारा सम्पूर्ण रामायण की प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया गया है।
उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस अत्यधिक लोकप्रिय है, उसी प्रकार दक्षिण भारत में श्रीराम रामायणम् बहुत लोकप्रिय है। श्रीरामचरितमानस, अवधी भाषा के कारण ही उत्तर भारत में लोकप्रिय है। जबकि यह रामायण का संक्षिप्त रूप नहीं है। इसी तरह राम रामायणम भाषा के कारण ही, दक्षिण भारत में ज्यादा लोकप्रिय है। साथ ही यह रामायण का संक्षिप्त रूप है, जिससे इसके पाठ में भी कम समय लगता है।
इसी तरह एक श्लोकी रामायणम् भी रामायण का संक्षिप्त रूप है, जिसमें सिर्फ एक श्लोक के माध्यम से रामायण का सार बताया गया है।
नाम रामायणम्
॥ बालकांडः ॥
शुद्धब्रह्मपरात्पर राम।
कालात्मकपरमेश्वर राम।
शेषतल्पसुखनिद्रित
राम।
ब्रह्माद्यमरप्रार्थित राम।
चंडकिरणकुलमंडन राम।
श्रीमद्दशरथनंदन
राम।
कौसल्यासुखवर्धन राम।
विश्वामित्रप्रियधन राम।
घोरताटकाघातक
राम।
मारीचादिनिपातक राम॥१०॥
कौशिकमखसंरक्षक राम।
श्रीमदहल्योद्धारक राम।
गौतममुनिसंपूजित राम।
सुरमुनिवरगणसंस्तुत
राम।
नाविकधाविकमृदुपद राम।
मिथिलापुरजनमोहक राम।
विदेहमानसरंजक
राम।
त्र्यंबककार्मुकभंजक राम।
सीतार्पितवरमालिक राम।
कृतवैवाहिककौतुक
राम॥२०॥
भार्गवदर्पविनाशक राम।
श्रीमदयोध्यापालक राम॥
राम राम जय राजा राम।
राम राम जय सीता राम॥
॥ अयोध्याकांडः ॥
अगणितगुणगणभूषित राम।
अवनीतनयाकामित राम।
राकाचंद्रसमानन राम।
पितृवाक्याश्रितकानन
राम।
प्रियगुहविनिवेदितपद राम।
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम।
भरद्वाजमुखानंदक
राम।
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम॥३०॥
दशरथसंततचिंतित राम।
कैकेयीतनयार्पित राम। (तनयार्थित)
विरचितनिजपितृकर्मक
राम।
भरतार्पितनिजपादुक राम॥
राम राम जय राजा राम।
राम राम जय सीता राम॥
॥ अरण्यकांडः ॥
दंडकवनजनपावन राम।
दुष्टविराधविनाशन राम।
शरभंगसुतीक्ष्णार्चित राम।
अगस्त्यानुग्रहवर्दित
राम।
गृध्राधिपसंसेवित राम।
पंचवटीतटसुस्थित राम॥४०॥
शूर्पणखार्त्तिविधायक राम।
खरदूषणमुखसूदक राम।
सीताप्रियहरिणानुग
राम।
मारीचार्तिकृताशुग राम।
विनष्टसीतान्वेषक राम।
गृध्राधिपगतिदायक
राम।
शबरीदत्तफलाशन राम।
कबंधबाहुच्छेदन राम॥
राम राम जय राजा राम।
राम राम जय सीता राम॥
॥ किष्किंधाकांडः ॥
हनुमत्सेवितनिजपद राम।
नतसुग्रीवाभीष्टद राम॥५०॥
गर्वितबालिसंहारक राम।
वानरदूतप्रेषक राम।
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम।
राम राम जय राजा राम।
राम राम जय सीता राम।
॥ सुंदरकांडः ॥
कपिवरसंततसंस्मृत राम।
तद्गतिविघ्नध्वंसक राम।
सीताप्राणाधारक राम।
दुष्टदशाननदूषित
राम।
शिष्टहनूमद्भूषित राम।
सीतावेदितकाकावन राम।
कृतचूडामणिदर्शन
राम॥६०॥
कपिवरवचनाश्वासित राम॥
राम राम जय राजा राम।
राम राम जय सीता राम॥
॥ युद्धकांडः ॥
रावणनिधनप्रस्थित राम।
वानरसैन्यसमावृत राम।
शोषितशरदीशार्त्तित
राम।
विभीष्णाभयदायक राम।
पर्वतसेतुनिबंधक राम।
कुंभकर्णशिरश्छेदक
राम।
राक्षससंघविमर्धक राम।
अहिमहिरावणचारण राम।
संहृतदशमुखरावण
राम॥७०॥
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम।
खःस्थितदशरथवीक्षित राम।
सीतादर्शनमोदित
राम।
अभिषिक्तविभीषणनुत राम। (नत)
पुष्पकयानारोहण राम।
भरद्वाजादिनिषेवण राम।
भरतप्राणप्रियकर राम।
साकेतपुरीभूषण
राम।
सकलस्वीयसमानत राम।
रत्नलसत्पीठास्थित राम॥८०॥
पट्टाभिषेकालंकृत राम।
पार्थिवकुलसम्मानित राम।
विभीषणार्पितरंगक
राम।
कीशकुलानुग्रहकर राम।
सकलजीवसंरक्षक राम।
समस्तलोकोद्धारक
राम॥ (लोकाधारक)
राम राम जय राजा राम।
राम राम जय सीता राम॥
॥ उत्तरकांडः ॥
आगत मुनिगण संस्तुत राम।
विश्रुतदशकंठोद्भव राम।
सीतालिंगननिर्वृत
राम।
नीतिसुरक्षितजनपद राम॥९०॥
विपिनत्याजितजनकज राम।
कारितलवणासुरवध राम।
स्वर्गतशंबुक संस्तुत
राम।
स्वतनयकुशलवनंदित राम।
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम।
कालावेदितसुरपद
राम।
आयोध्यकजनमुक्तित राम।
विधिमुखविभुदानंदक राम।
तेजोमयनिजरूपक
राम।
संसृतिबंधविमोचक राम ॥१००॥
धर्मस्थापनतत्पर राम।
भक्तिपरायणमुक्तिद राम।
सर्वचराचरपालक राम।
सर्वभवामयवारक
राम।
वैकुंठालयसंस्थित राम।
नित्यानंदपदस्थित राम॥
राम राम जय राजा राम॥
राम राम जय सीता राम ॥१०८॥
॥ इति श्रीलक्ष्मणाचार्यविरचितं नामरामायणं संपूर्णम् ॥