श्री शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम् अर्थ सहित (Shri Shiva Panchakshara Nakshatramala Stotram)

Shiv Panchakshar NakshatraMala Stotram l Adi Shankaracharya

शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम्

श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय
धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय।
नामशेषितानमद्भावसिन्धवे नमः शिवाय
पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय ॥१॥

कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय
शूलभिन्नदुष्टदक्षफाल ते नमः शिवाय ।
मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय
पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय ॥२॥

इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय
दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय ।
वृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय
अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय ॥३॥

आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय
पापहारिदिव्यसिन्धुमस्त ते नमः शिवाय।
पापदारिणे लसन्नमस्तते नमः शिवाय
शापदोषखण्डनप्रशस्त ते नमः शिवाय ॥४॥

व्योमकेश दिव्यभव्यरूप ते नमः शिवाय
हेममेदिनीधरेन्द्रचाप ते नमः शिवाय ।
नाममात्रदग्धसर्वपाप ते नमः शिवाय
कामनैकतानहृद्दुराप ते नमः शिवाय ॥५॥

ब्रह्ममस्तकावलीनिबद्ध ते नमः शिवाय
जिह्मगेन्द्रकुण्डल प्रसिद्ध ते नमः शिवाय ।
ब्रह्मणे प्रणीतवेदपद्धते नमः शिवाय
जिह्मकालदेहदत्तपद्धते नमः शिवाय ॥६॥

कामनाशनाय शुद्धकर्मणे नमः शिवाय
सामगानजायमानशर्मणे नमः शिवाय।
हेमकान्तिचाकचिक्यकर्मणे नमः शिवाय
सामजासुराङ्गलब्धचर्मणे नमः शिवाय॥७॥

जन्ममृत्युघोरदुःखहारिणे नमः शिवाय
चिन्मयैकरूपदेहधारिणे नमः शिवाय ।
मन्मनोरथावपूर्तिकारिणे नमः शिवाय
सन्मनोगताय कामवैरिणे नमः शिवाय॥८॥

यक्षराजबन्धवे दयालवे नमः शिवाय
दक्षपाणिशोभिकाञ्चनालवे नमः शिवाय ।
पक्षिराजवाहहृच्छयालवे नमः शिवाय
अक्षिफाल वेदपूततालवे नमः शिवाय ॥९॥

दक्षहस्तनिष्ठजातवेदसे नमः शिवाय
अक्षरात्मने नमद्बिडौजसे नमः शिवाय ।
दीक्षितप्रकाशितात्मतेजसे नमः शिवाय
उक्षराजवाह ते सतां गते नमः शिवाय ॥१०॥

राजताचलेन्द्रसानुवासिने नमः शिवाय
राजमाननित्यमन्दहासिने नमः शिवाय ।
राजकोरकावतंसभासिने नमः शिवाय
राजराजमित्रताप्रकाशिने नमः शिवाय ॥११॥

दीनमानवालिकामधेनवे नमः शिवाय
सूनबाणदाहकृत्कृशानवे नमः शिवाय ।
स्वानुरागभक्तरत्नसानवे नमः शिवाय
दानवान्धकारचण्डभानवे नमः शिवाय ॥१२॥

सर्वमङ्गलाकुचाग्रशायिने नमः शिवाय
सर्वदेवतागणातिशायिने नमः शिवाय ।
पूर्वदेवनाशसंविधायिने नमः शिवाय
सर्वमन्मनोजभङ्गदायिने नमः शिवाय ॥१३॥

स्तोकभक्तितोऽपि भक्तपोषिणे नमः शिवाय
माकरन्दसारवर्षिभाषिणे नमः शिवाय।
एकबिल्वदानतोऽपि तोषिणे नमः शिवाय
नैकजन्मपापजालशोषिणे नमः शिवाय ॥१४॥

सर्वजीवरक्षणैकशीलिने नमः शिवाय
पार्वतीप्रियाय भक्तपालिने नमः शिवाय ।
दुर्विदग्धदैत्यसैन्यदारिणे नमः शिवाय
शर्वरीशधारिणे कपालिने नमः शिवाय ॥१५॥

पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नमः शिवाय
देहि मे वरं सिताद्रिगेह ते नमः शिवाय ।
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नमः शिवाय
स्वेहितप्रसन्नकामदोह ते नमः शिवाय ॥१६॥

मङ्गलप्रदाय गोतुरंग ते नमः शिवाय
गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नमः शिवाय।
संगरप्रवृत्तवैरिभङ्ग ते नमः शिवाय
अङ्गजारये करेकुरङ्ग ते नमः शिवाय ॥ १७॥

ईहितक्षणप्रदानहेतवे नमः शिवाय
आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नमः शिवाय।
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नमः शिवाय
गेहदुःखपुञ्जधूमकेतवे नमः शिवाय ॥१८॥

त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नमः शिवाय
दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नमः शिवाय ।
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष ते नमः शिवाय
रक्ष मां प्रपन्नमात्ररक्ष ते नमः शिवाय ॥१९॥

न्यङ्कुपाणये शिवंकराय ते नमः शिवाय
सङ्कटाब्धितीर्णकिङ्कराय ते नमः शिवाय ।
पङ्कभीषिताभयंकराय ते नमः शिवाय
पङ्कजाननाय शंकराय ते नमः शिवाय ॥२०॥

कर्मपाशनाश नीलकण्ठ ते नमः शिवाय
शर्मदाय नर्यभस्मकण्ठ ते नमः शिवाय ।
निर्ममर्षिसेवितोपकण्ठ ते नमः शिवाय
कुर्महे नतीर्नमद्विकुण्ठ ते नमः शिवाय ॥२१॥

विष्टपाधिपाय नम्रविष्णवे नमः शिवाय
शिष्टविप्रहृद्गुहाचरिष्णवे नमः शिवाय ।
इष्टवस्तुनित्यतुष्टजिष्णवे नमः शिवाय
कष्टनाशनाय लोकजिष्णवे नमः शिवाय ॥२२॥

अप्रमेयदिव्यसुप्रभाव ते नमः शिवाय
सत्प्रपन्नरक्षणस्वभाव ते नमः शिवाय ।
स्वप्रकाश निस्तुलानुभाव ते नमः शिवाय
विप्रडिम्भदर्शितार्द्रभाव ते नमः शिवाय ॥२३॥

सेवकाय मे मृड प्रसीद ते नमः शिवाय
भावलभ्य तावकप्रसाद ते नमः शिवाय ।
पावकाक्ष देवपूज्यपाद ते नमः शिवाय
तावकाङ्घ्रिभक्तदत्तमोद ते नमः शिवाय ॥२४॥

भुक्तिमुक्तिदिव्यभोगदायिने नमः शिवाय
शक्तिकल्पितप्रपञ्चभागिने नमः शिवाय ।
भक्तसंकटापहारयोगिने नमः शिवाय
युक्तसन्मनःसरोजयोगिने नमः शिवाय ॥२५॥

अन्तकान्तकाय पापहारिणे नमः शिवाय
शंतमाय दन्तिचर्मधारिणे नमः शिवाय ।
सन्तताश्रितव्यथाविदारिणे नमः शिवाय
जन्तुजातनित्यसौख्यकारिणे नमः शिवाय ॥२६॥

शूलिने नमो नमः कपालिने नमः शिवाय
पालिने विरिञ्चितुण्डमालिने नमः शिवाय ।
लीलिने विशेषरुण्डमालिने नमः शिवाय
शीलिने नमः प्रपुण्यशालिने नमः शिवाय ॥२७॥

शिवपञ्चाक्षरमुद्रां चतुष्पदोल्लासपद्यमणिघटिताम् ।
नक्षत्रमालिकामिह दधदुपकण्ठं नरो भवेत्सोमः ॥२८॥

॥ इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छङ्करभगवतः कृतौशिवपञ्चाक्षरनक्षत्रमालास्तोत्रम् संपूर्णम् ॥ 

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Shiv Panchakshar Nakshatra Mala Stotram by Biswaji Bhattacharji (Bibo)

हिन्दी अर्थ

शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित

श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय
धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय।
नामशेषितानमद्भावसिन्धवे नमः शिवाय
पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय ॥१॥

परमात्मा, गुणों के सागर शिव आपको नमस्कार है, जिनका थोड़ा-सा प्रकाश सूर्य के तेज को तिरस्कृत कर देता है, विष्णुसखा शिव नमस्कार है। जिनके नाममात्र से भक्त संसार सागर से मुक्त हो जाते हैं शिव नमस्कार है पामर और अन्य सभी के तुच्छ लोगों के मुख्य मित्र शिव आपको नमस्कार है ॥१॥

कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय
शूलभिन्नदुष्टदक्षफाल ते नमः शिवाय ।
मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय
पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय ॥२॥

काल से भयभीत ब्राह्मणों के बालकों के रक्षक शिव आपको नमस्कार है, त्रिशूल से दुष्ट दक्ष के सिर को काटनें वाले शिव आपको नमस्कार है। जगत के मूल कारण, कालों के काल महाकाल शिव आपको नमस्कार है। अब मेरी रक्षा करो करुणा के सागर शिव आपको नमस्कार है ॥२॥

इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय
दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय ।
वृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय
अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय ॥३॥

मनोवांछित वस्तुओं के प्रदाता शिव आपको नमस्कार है, दुष्ट राक्षसों के समूह के नाशक शिव नमस्कार है। सृष्टि के रक्षक, धर्मरक्षक शिव नमस्कार हैं, अष्टमूर्ति वृषभद्धज शिव नमस्कार है ॥३॥

आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय
पापहारिदिव्यसिन्धुमस्त ते नमः शिवाय।
पापदारिणे लसन्नमस्तते नमः शिवाय
शापदोषखण्डनप्रशस्त ते नमः शिवाय ॥४॥

विपत्तियों के पर्वतों को नष्ट करने वाली खड्ग को धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है, पाप हरने वाली गंगा को मस्तक पर धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है। पापनाशक आशुतोष शिव आपको नमस्कार है, शाप और दोषों के खंडन में सर्वसमर्थ शिव आपको नमस्कार है ॥४॥

व्योमकेश दिव्यभव्यरूप ते नमः शिवाय
हेममेदिनीधरेन्द्रचाप ते नमः शिवाय ।
नाममात्रदग्धसर्वपाप ते नमः शिवाय
कामनैकतानहृद्दुराप ते नमः शिवाय ॥५॥

आकाशरूपी जटा वाले दिव्य और भव्य स्वरूप वाले शिव आपको नमस्कार है, मेरु पर्वत के रूप में धनुष धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है। जिनके नाममात्र॑ से ही समस्त पाप दूर हो जाते हैं शिव आपको नमस्कार है, कामवासनाओं से भरे लोगों के लिए दुष्प्राप्य शिव आपको नमस्कार है ॥५॥

ब्रह्ममस्तकावलीनिबद्ध ते नमः शिवाय
जिह्मगेन्द्रकुण्डल प्रसिद्ध ते नमः शिवाय ।
ब्रह्मणे प्रणीतवेदपद्धते नमः शिवाय
जिह्मकालदेहदत्तपद्धते नमः शिवाय ॥६॥

ब्रह्मा के कपालों (मुण्डों) की माला धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है सर्पराज वासुकी को कुंडल रूप में धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है। ब्रह्मा के लिए रचित वेदपद्धति के रचयिता शिव नमस्कार है अपने पैरों से कुटिल मृत्यु को तिरस्कृत करने वाले शिव नमस्कार है ॥६॥

कामनाशनाय शुद्धकर्मणे नमः शिवाय
सामगानजायमानशर्मणे नमः शिवाय।
हेमकान्तिचाकचिक्यकर्मणे नमः शिवाय
सामजासुराङ्गलब्धचर्मणे नमः शिवाय॥७॥

कामनांओं के नाशक, विशुद्ध कर्म के कर्ता शिव नमस्कार है, सामवेद के संगीत को सुनकर प्रसन्न होने वाले शिव नमस्कार है। सोने की चमक के समान चमकते हुए प्रभामंडल को धारण करने वाले शिव नमस्कार है। गजासुर की चर्म को धारण करने वाले शिव नमस्कार है ॥७॥

जन्ममृत्युघोरदुःखहारिणे नमः शिवाय
चिन्मयैकरूपदेहधारिणे नमः शिवाय ।
मन्मनोरथावपूर्तिकारिणे नमः शिवाय
सन्मनोगताय कामवैरिणे नमः शिवाय॥८॥

जन्म और मृत्यु के अयानक कष्ट की हरने वाले शिव नमस्कार है, एकमात्र चिन्मयस्वरूप धारण करने वाले शिव नमस्कार है, सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले शिव आपको नमस्कार है, सन्तों के हृदय में निवास करने वाले, कामदेव के शत्रु शिव आपको नमस्कार है ॥८॥

यक्षराजबन्धवे दयालवे नमः शिवाय
दक्षपाणिशोभिकाञ्चनालवे नमः शिवाय ।
पक्षिराजवाहहृच्छयालवे नमः शिवाय
अक्षिफाल वेदपूततालवे नमः शिवाय ॥९॥

कुबेर के सखा, दयालु शिव नमस्कार है, दाहिने हाथ में सुशोभित स्वर्ण कलश वाले शिव नमस्कार है। गरुड़ वाहन वाले भगवान हरि के हृदय में निवास करने वाले शिव नमस्कार है, मस्तक पर नेत्र वाले वेद मंत्रों से पवित्र मुख वाले शिव नमस्कार हैं ॥९॥

दक्षहस्तनिष्ठजातवेदसे नमः शिवाय
अक्षरात्मने नमद्बिडौजसे नमः शिवाय ।
दीक्षितप्रकाशितात्मतेजसे नमः शिवाय
उक्षराजवाह ते सतां गते नमः शिवाय ॥१०॥

दाहिने हाथ में पवित्र अग्नि वाले शिव नमस्कार हैं, अविनाशी (शब्दब्रह्मरूप) देवेन्द्र द्वारा वंदित शिव नमस्कार है दीक्षितों के लिए अपने तेज को प्रकट करने वाले शिव नमस्कार है, नन्दी सवारी वाले संतों के एंकमात्र आश्रय शिव नमस्कार है ॥१०॥

राजताचलेन्द्रसानुवासिने नमः शिवाय
राजमाननित्यमन्दहासिने नमः शिवाय ।
राजकोरकावतंसभासिने नमः शिवाय
राजराजमित्रताप्रकाशिने नमः शिवाय ॥११॥

चांदी के समान शुभ्र हिमालय की चोटी पर रहने वाले शिव नमस्कार है, मुख पर सदैव मंदहास रखने वाले शिव नमस्कार है। मस्तकपर अर्धचंद्र से सुशोभित शिव नमस्कार है, कुबेर से मित्रता रखने वाले शिव नमस्कार हैं ॥११॥

दीनमानवालिकामधेनवे नमः शिवाय
सूनबाणदाहकृत्कृशानवे नमः शिवाय ।
स्वानुरागभक्तरत्नसानवे नमः शिवाय
दानवान्धकारचण्डभानवे नमः शिवाय ॥१२॥

गरीबों के लिए कामधेनु स्वरूप शिव आपको नमस्कार है, कामदेव को भस्म करने वाले अग्निरूप शिव नमस्कार है। अपने प्रेमी भक्तों के लिए रत्नों के पर्वतरूप शिव नमस्कार है दानवरूपी अंधकार को दूर करने वाले प्रचंड सर्यरूप शिव नमस्कार है ॥१२॥

सर्वमङ्गलाकुचाग्रशायिने नमः शिवाय
सर्वदेवतागणातिशायिने नमः शिवाय ।
पूर्वदेवनाशसंविधायिने नमः शिवाय
सर्वमन्मनोजभङ्गदायिने नमः शिवाय ॥१३॥

मंगलप्रदात्री पार्वती के हृदय में रहने वाले शिव नमस्कार है, सभी देवों में श्रेष्ठ शिव नमस्कार है। राक्षसों के विनाश का विधान करने वाले शिव नमस्कार है, सभी के मन में रहने वाले कामदेव का नाश करने वाले शिव नमस्कार है ॥१३॥

स्तोकभक्तितोऽपि भक्तपोषिणे नमः शिवाय
माकरन्दसारवर्षिभाषिणे नमः शिवाय।
एकबिल्वदानतोऽपि तोषिणे नमः शिवाय
नैकजन्मपापजालशोषिणे नमः शिवाय ॥१४॥

अल्पभक्ति करने वाले भक्त के भी पोषक शिव नमस्कार है, मधु रस के समान मधुर वचनों को बोलने वाले शिव नमस्कार है। एक बिल्व पत्र को चढ़ाने से भी प्रसन्न होने वाले शिव नमस्कार है, अनेक जन्मों के पाप के जाल को काटने वाले शिव नमस्कार है ॥१४॥

सर्वजीवरक्षणैकशीलिने नमः शिवाय
पार्वतीप्रियाय भक्तपालिने नमः शिवाय ।
दुर्विदग्धदैत्यसैन्यदारिणे नमः शिवाय
शर्वरीशधारिणे कपालिने नमः शिवाय ॥१५॥

सभी जीवो की रक्षा करना ही एकमात्र स्वभाव है जिनका, शिव आपको नमस्कार है, पार्वती के प्रिय भक्तपालक शिव नमस्कार है। भयंकर दैत्य सेना के नाशक, शिव नमस्कार है। शशि धारण करने वाले कपाली शिव आपको नमस्कार है ॥१५॥

पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नमः शिवाय
देहि मे वरं सिताद्रिगेह ते नमः शिवाय ।
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नमः शिवाय
स्वेहितप्रसन्नकामदोह ते नमः शिवाय ॥१६॥

मेरी रक्षा करो पार्वतीप्रिय देहधारी शिव आपको नमस्कार है। मुझे वर दीजिए, हे कैलाशवासी शिव आपको नमस्कार है। मोह से मोहित ऋषियों की पत्नियां जिनके साथ है, शिव आपको नमस्कार है। अपने लोगों के हित में प्रसन्न रहने वाले, सभी कामनाओं के प्रदाता शिव आपको नमस्कार है ॥१६॥

मङ्गलप्रदाय गोतुरंग ते नमः शिवाय
गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नमः शिवाय।
संगरप्रवृत्तवैरिभङ्ग ते नमः शिवाय
अङ्गजारये करेकुरङ्ग ते नमः शिवाय ॥ १७॥

मंगल प्रदाता नंदी सवारी करने वाले शिव आपको नमस्कार है। गंगा की तरंग से सुशोभित देहधारी शिव आपको नमस्कार है। संग्राम में शत्रुओं का नाश करने वाले शिव आपको नमस्कार है। काम के शत्रु हाथ में मृग चिह्नधारी शिव आपको नमस्कार है ॥१७॥

ईहितक्षणप्रदानहेतवे नमः शिवाय
आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नमः शिवाय।
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नमः शिवाय
गेहदुःखपुञ्जधूमकेतवे नमः शिवाय ॥१८॥

मनोवांछित वस्तु को क्षण में प्रदान करने वाले शिव नमस्कार है। गार्हपत्य अग्नि के पालक वृषभध्वज शिव नमस्कार है। देह की कांति से चांदी की चमक को भी तिरस्कृत करने वाले शिव नमस्कार है, घर के समस्त दुखों को दूर करने वाले शिव नमस्कार हैं ॥१८॥

त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नमः शिवाय
दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नमः शिवाय ।
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष ते नमः शिवाय
रक्ष मां प्रपन्नमात्ररक्ष ते नमः शिवाय ॥१९॥

त्रिनेत्री दीनों पर कृपादृष्टि रखने वाले शिव आपको नमस्कार है, दक्ष प्रजापति के यज्ञ का नाश करने में समर्थ शिव आपको नमस्कार है। चंद्रमा सूर्य और अग्रिरूप नेत्र वाले शिव आपको नमस्कार है। मेरी रक्षा करों, शरणागत के
कमात्र रक्षक शिव आपको नमस्कार है ॥१९॥

न्यङ्कुपाणये शिवंकराय ते नमः शिवाय
सङ्कटाब्धितीर्णकिङ्कराय ते नमः शिवाय ।
पङ्कभीषिताभयंकराय ते नमः शिवाय
पङ्कजाननाय शंकराय ते नमः शिवाय ॥२०॥

हाथ में मृगचिन्ह वाले, कल्याण करने वाले शिव आपकी नमस्कार है, संकटों के सागर से पार कराने वाले सेवक शिव आपको नमस्कार है। मृत्यु से भयभीत को अभय प्रदान करने वाले शिव आपको नमस्कार है, कुमलानन शंकर आपको नमस्कार है ॥२०॥

कर्मपाशनाश नीलकण्ठ ते नमः शिवाय
शर्मदाय नर्यभस्मकण्ठ ते नमः शिवाय ।
निर्ममर्षिसेवितोपकण्ठ ते नमः शिवाय
कुर्महे नतीर्नमद्विकुण्ठ ते नमः शिवाय ॥२१॥

कर्म बंधन के नाशक नीलकंठ शिव आपको नमस्कार है, आनंदप्रदाता, कंठ में कामदेव की भस्म लेपन करने वाले शिव आपको नमस्कार है। मोहरहित ऋषियों द्वारा पूजित शिव आपको नमस्कार है। हम नमस्कार करते हैं जिनके सामने सभी पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं ऐसे शिव आपको नमस्कार है ॥२१॥

विष्टपाधिपाय नम्रविष्णवे नमः शिवाय
शिष्टविप्रहृद्गुहाचरिष्णवे नमः शिवाय ।
इष्टवस्तुनित्यतुष्टजिष्णवे नमः शिवाय
कष्टनाशनाय लोकजिष्णवे नमः शिवाय ॥२२॥

संसार के स्वामी विष्णु द्वारा वंदित शिव नमस्कार है, शिष्ट ब्राह्मणों के हृदयरूपी गुफा में विचरण करने वाले शिव नमस्कार है। इच्छित वस्तुओं को नित्य प्रदान कर प्रसन्न करने वाले शिव नमस्कार है, कष्टों को हरने वाले लोकविजयी शिव नमस्कार है ॥२२॥

अप्रमेयदिव्यसुप्रभाव ते नमः शिवाय
सत्प्रपन्नरक्षणस्वभाव ते नमः शिवाय ।
स्वप्रकाश निस्तुलानुभाव ते नमः शिवाय
विप्रडिम्भदर्शितार्द्रभाव ते नमः शिवाय ॥२३॥

असीम दिव्य शक्तियों वाले शिव आपको नमस्कार है, शरणागत संतों की रक्षा करने वाले शिव आपको नमस्कार है। स्वयं प्रकाश अतुलनीय बलशाली शिव आपको नमस्कार है। ब्राह्मण बालको पर दया भाव दिखलाने वाले शिव आपको नमस्कार है ॥२३॥

सेवकाय मे मृड प्रसीद ते नमः शिवाय
भावलभ्य तावकप्रसाद ते नमः शिवाय ।
पावकाक्ष देवपूज्यपाद ते नमः शिवाय
तावकाङ्घ्रिभक्तदत्तमोद ते नमः शिवाय ॥२४॥

हे शिव मुझ सेवक पर प्रसन्न होइए आपको नमस्कार है, भावों से लब्ध आपका आशीर्वाद है शिव आपको नमस्कार है। अग्नि नेत्र वाले देवों के द्वारा वंदित चरणों वाले शिव आपको नमस्कार है, अपने चरणों में रहने वाले भक्तों को आनंद प्रदान करने वाले शिव आपको नमस्कार है ॥२४॥

भुक्तिमुक्तिदिव्यभोगदायिने नमः शिवाय
शक्तिकल्पितप्रपञ्चभागिने नमः शिवाय ।
भक्तसंकटापहारयोगिने नमः शिवाय
युक्तसन्मनःसरोजयोगिने नमः शिवाय ॥२५॥

भुक्ति, मुक्ति और दिव्य भोग प्रदान करने वाले शिव नमस्कार है, माया द्वारा रचित प्रपंच के नाशक शिव नमस्कार है। भक्तों के संकट हरने वाले योगी शिव नमस्कार है। योगी संतों के कमल सदृश हृदय में विराजने वाले योगी शिव नमस्कार है ॥२५॥

अन्तकान्तकाय पापहारिणे नमः शिवाय
शंतमाय दन्तिचर्मधारिणे नमः शिवाय ।
सन्तताश्रितव्यथाविदारिणे नमः शिवाय
जन्तुजातनित्यसौख्यकारिणे नमः शिवाय ॥२६॥

मृत्यु का नाश करने वाले, पाप हरने वाले शिव नमस्कार है, शांतस्वरूप हाथी की चर्म धारण करने वाले शिव नमस्कार है। प्राणियों से मिलने वाले नित्य सुख को प्रदान करने वाले शिव नमस्कार है। सदैव आश्रितों की व्यथा को नष्ट करने वाले शिव नमस्कार है ॥२६॥

शूलिने नमो नमः कपालिने नमः शिवाय
पालिने विरिञ्चितुण्डमालिने नमः शिवाय ।
लीलिने विशेषरुण्डमालिने नमः शिवाय
शीलिने नमः प्रपुण्यशालिने नमः शिवाय ॥२७॥

त्रिशूलधारी नमस्कार है कपाली शिव नमस्कार है। जगत के पालक, ब्रह्म कि मुंड को माला रूप में धारण करने वाले शिव नमस्कार है। लीलाधारी विशेष मुण्डो की माला पहनने वाले शिव नमस्कार है, सदाचारी नमस्कार है। अति पुण्यशाली शिव नमस्कार है ॥२७॥

शिवपञ्चाक्षरमुद्रां चतुष्पदोल्लासपद्यमणिघटिताम् ।
नक्षत्रमालिकामिह दधदुपकण्ठं नरो भवेत्सोमः ॥२८॥

भगवान शिव की पांच अक्षरों वाली मुद्रा को, चार चरणों से सुसज्जित पद्यरूपी मणि से रचित इस नक्षत्र माला को जो मनुष्य कंठ में धारण करता है वह चंद्रमा सदृश मनुष्यों का स्वामी बन जाता है ॥२८॥

॥ इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छङ्करभगवतः कृतौशिवपञ्चाक्षरनक्षत्रमालास्तोत्रम् संपूर्णम् ॥ 

यह श्रीमान परमहंस परिव्राजक आचार्य श्री गोविंद पाद भागवत् पूज्यपाद के शिष्या श्रीमान शंकराचार्य जी द्वारा रचित शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र सम्पूर्ण होता है।

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