श्री राम शलाका प्रश्नावली ऑनलाइन (Shri Ram Shalaka Prashnavali Online)

Ramcharitmanas Prashnavali - Shri Ram Shalaka Prashnavali Online

श्रीराम शलाका प्रश्नावली का उपयोग कैसे करें?

  • सबसे पहले भगवान श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान करें, और अपने मन में आ रहे प्रश्न के दिव्य मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें।
  • तत्पश्चात आँखें बंद करके मन में ही 'जय श्री राम' कहकर इस राम शलाका पर क्लिक (टैप) करें।
  • टैप करते ही अगले पेज पर आपके प्रश्न का फलादेश हिन्दी और अङ्ग्रेज़ी भाषा में देख पाएंगे।


इसके अतिरिक्त अगर आप भगवान श्रीराम के रामायण के अवधी रूपान्तरण रामचरितमानस प्रश्नावली के मूल रूप को प्रयोग करना चाहते हैं, तो नीचे दी गयी श्री राम प्रश्नावली का प्रयोग कर सकते हैं। सभी नियम व निर्देश के साथ पूर्ण राम चरित मानस प्रश्नावली दी गई है।

रामचरितमानस प्रश्नावली (Ramcharitmanas Prashnavali)

मानसानुरागी महानुभावों को श्री राम शलाका प्रश्नावली का विशेष परिचय देने की कोई आवश्यकता नहीं प्रतीत होती। उसकी महत्ता एवं उपयोगिता से प्राय: सभी रामचरितमानस प्रेमी परिचित होंगे। अत: नीचे उसका स्वरूप मात्र अंकित करके उससे प्रश्नोत्तर निकालने की विधि तथा उसके उत्तर-फलों का उल्लेख कर दिया जाता है। श्री राम शलाका प्रश्नावली का स्वरूप इस प्रकार है- 

Ram Shlaka Prasnavaliइस राम शलाका प्रश्नावली के द्वारा जिस किसी को जब कभी अपने अभीष्ट प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो इन चरणों को फॉलो करना चाहिए। 

  1. सर्वप्रथम उस व्यक्ति को भगवान्‌ श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान करना चाहिये। तदनन्तर श्रद्धा-विश्वासपूर्वक मन से अभीष्ट प्रश्न का चिन्तन करते हुए प्रश्नावली के मनचाहे कोष्ठक में अँगुली या कोई शलाका रख देना चाहिये। 
  2. अब उस कोष्टक में जो अक्षर हो उसे अलग किसी कोरे कागज या स्लेट पर लिख लेना चाहिये। प्रश्नावली के कोष्ठक पर भी ऐसा कोई निशान लगा देना चाहिये जिससे न तो प्रश्नावली गन्दी हो और न प्रश्नोत्तर प्राप्त होने तक वह कोष्ठक भूल जाये। 
  3. अब जिस कोष्ठक का अक्षर लिख लिया गया है उससे आगे बढ़ना चाहिये तथा उसके नवें कोष्ठक में जो अक्षर पड़े उसे भी लिख लेना चाहिये। इस प्रकार प्रति नवें अक्षर को क्रम से लिखते जाना चाहिये और तब तक लिखते जाना चाहिये, जब तक उसी पहले कोष्ठक के अक्षर तक अँगुली अथवा शलाका न पहुँच जाय। 
  4. पहले कोष्ठक का अक्षर जिस कोष्ठक के अक्षर से नवाँ पड़ेगा, वहाँ तक पहुँचते-पहुँचते एक चौपाई पूरी हो जायगी, जो प्रश्नकर्ता के अभीष्ट प्रश्न का उत्तर होगी। 

नोट- यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि किसी-किसी कोष्ठक में केवल 'आ' की मात्रा ( ा ) और किसी-किसी कोष्ठक में दो-दो अक्षर हैं। अत: गिनते समय न तो मात्रा वाले कोष्ठक को छोड़ देना चाहिये और न दो अक्षरों वाले कोष्ठक को दो बार गिनना चाहिये। जहाँ मात्रा का कोष्ठक आवे वहाँ पूर्वलिखित अक्षर के आगे मात्रा लिख लेना चाहिये और जहाँ दो अक्षरों वाला कोष्ठक आवे वहाँ दोनों अक्षर एक-साथ लिख लेना चाहिये।

अब उदाहरण के तौर पर इस राम शलाका प्रश्नावली से किसी प्रश्न के उत्तर में एक चौपाई निकाल दी जाती है। पाठक ध्यान से देखें। किसी ने भगवान्‌ श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान और अपने प्रश्न का चिन्तन करते हुए यदि प्रश्नावली के* इस चिन्ह से संयुक्त 'म' वाले कोष्ठक में अँगुली या शलाका रखा और वह ऊपर बताये क्रम के अनुसार अक्षरों को गिन-गिनकर लिखता गया तो उत्तर स्वरूप यह चौपाई बन जायगी।

हो  इ  हि  सो  इ  जो  रा  म र  चि  रा  खा।

को  क  रि  त  र्क  ब  ढ़ा  वै  सा  खा॥

यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है। प्रश्नकर्ता को इस उत्तरस्वरूप चौपाई से यह आशय निकालना चाहिये कि कार्य होने में सन्देह है, अत: उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयस्कर है।

Ram Shalaka Prashnavali with Answers in Hindi

इस चौपाई के अतिरिक्त श्री राम शलाका प्रश्नावली से आठ चौपाइयाँ और बनती हैं, उन सबका स्थान और फल सहित उल्लेख नीचे किया जाता है। कुल नौ चौपाइयाँ हैं-

१- सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
    पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥

स्थान- यह चौपाई बालकाण्ड में श्री सीताजी के गौरी पूजन के प्रसंग में है। गौरी जी ने श्री सीता जी को आशीर्वाद दिया है।
फल- प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।

२- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
    हदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

स्थान- यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।
फल- भगवान का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।

३- उघरहिं अंत न होइ निबाहू।
    कालनेमि जिमि रावन राहू॥

स्थान- यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फल- इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।

४- बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
    फनि मनि सम निज. गुन. अनुसरहीं॥

स्थान- यह चौपाई भी बालकाण्ड के आरम्भ में ही सत्संग-वर्णन के प्रसंग की है।
फल- खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।

५- मुद मंगलमय संत समाजू।
     जो जग जंगम तीरथराजू॥

स्थान- यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाज रूपी तीर्थ के वर्णन में है।
फल- प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।

६- गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
     गोपद सिंधु अनल सितलाई॥

स्थान- यह चौपाई श्री हनुमान जी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।
फल- प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।

७- बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
     रन सन्मुख धरि काहुँ न धीरा॥

स्थान- यह चौपाई लङ्काकाण्ड में रावण की मृत्यु के पश्चात्‌ मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।
फल- कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।

८- सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
     रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥

स्थान- यह चौपाई बालकाण्ड में पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्र जी का आशीर्वाद है।
फल- प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।

इस प्रकार श्री राम शलाका प्रश्नावली से कुल नौ चौपाइयाँ बनती हैं, जिनमें सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर सन्निहित हैं।

रामायण प्रश्नावली क्या है?

रामायण प्रश्नावली भगवान श्रीराम के अवधी महाकाव्य श्रीरामचरितमानस में वर्णित है। जिसकी रचना कवि-संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा सन 1574 ई॰ की गयी थी। इस प्रश्नावली में 15X15 की एक तालिका है, जिसमें विभिन्न शब्दांश इस प्रकार व्यवस्थित है कि कोई भी एक कोष्ठक चुनने पर क्रमशः नवें कोष्ठक के शब्दांश को जोड़ते जाने पर चौपाई बन जाती है। और उस चौपाई के आधार पर फलादेश प्राप्त होता है।

राम शलाका प्रश्नावली किसने बनाई थी?

श्री राम शलाका प्रश्नावली की रचना गोस्वामी तुलसीदास द्वारा की गई है। जो उनके प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस में वर्णित है। रामचरितमानस प्रभु श्रीराम के चरित्र पर आधारित महाकाव्य है। जिसे वाल्मीकि कृत रामायण का अवधी रूपान्तरण भी माना जाता है।

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